These poems take us down the childhood memory lane. It gives out the message that childhood is the most innocent and beautiful phase of one’s life and that each moment of it should be lived to the fullest.
1- आत्मसम्मान
घबराओ ना डरो ना तुम
सारा भय हो जाने दो गुम
अब नहीं सहेंगे हम और गम
दुख करेंगे अपने सारे कम
अपनाओ हथकंडे , उठा लो bat
get ready for tit for tat
सालों साल रहे मीठे और सच्चे
निभाए सारे धर्म
पर अब इन शर्म के धागों को काट दो
गिरा दो दुश्मन पर बम्ब
नहीं सहेंगे हम अत्याचार
आखिर हमने भी खाया है खट्टा आचार
ना सहो किसी का रॉब या मनमानी
भले ही आ जाये तुफ़ान और आन्धी
says Mr. Mahatma Gandhi
2- बचपन कि यादें
बचपन में जब स्कूल जाया करती थी
तो लगता था कितनी बड़ी मुसीबत झेल रही हूँ मैं
सुबह से शाम तक कितना श्रम कर रही हूँ मैं
तब माँ कहती थीं
इन पलों को जी ले बेटी
हर पल को बना दे ख़ास
बाद में यही लम्हे बन जायेंगे याद
जब बड़ी हुई ,नौवी-दसवीं कक्षा में गयी
तो लगा कि मुसीबत और भी बढ़ गयी
इतने सारे विषय ,हर विषय में इतना काम
जैसे ज़िन्दगी हो गयी काम के नाम
लगता था कि माँ के तो खूब मज़े है
घर बैठे काम ही कितने करने होते है
माँ ने तब फिर दोहराया
“मत समझ इन पलों को बोझ मेरी बच्ची
हर पल को बना दे ख़ास बाद में इन्ही को करेगी याद”
आज बड़ी हो गयी हूँ मैं
गृहस्थी संभल ली है, स्वंय माँ बन गयी हूँ मैं
आज याद अति है वो बचपन कि बातें
वो खट्टे मीठे पल दोस्तों के संग खेल-कूद
टीचर का डांटना वो नटखट शरारते
इसलिए आज अपने बच्चो ,
और बाकि सबको भी येही कहती हूँ मैं –
किसी पल को मत समझो बोझ हर पल में ढूंढो ख़ुशी
हर पल को बना दो यादगार और खास
क्यूंकि बाद में येही पल ,येही यादें
बन जाएँगी यादें
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