आँखों में जब आँसू थे
आपने उसे पोछा था
दिल में जब जब दर्द उठा
आपने बिन कहें उसे समझा था
मिनतें की थी मुझे पाने की
खुशी थी मेरे आने की
बच्चे होने का फ़र्ज़ हम निभा पायें या ना निभा पायें
पिता होने के हर फ़र्ज़ निभाए हैं आपने
शत शत नमन
हर पल नमन
आपकी मोहब्बत को नमन
दिल से नमन
रात को रोते बिलखते थे हम
एक रोटी खाने को लाखों नाटक करते थे हम
फिर भी हमारे पीछे भागती थी आप
दर्द लाखो उठाए हुमारे खातिर सदा
उस मोहब्बत को एक बार फिर
शत शत नमन हर पल नमन
दिल से नमन
सच ही कहा जिसने कहा
माँ बाप से ऊँचा कोई नही
बच्चे होने का फ़र्ज़ हम निभा पाए या ना निभा पाए
माँ बाप के हर फ़र्ज़ निभाए है आपने
बागों के हर फूल को दिल से सीचें है यह ऐसे माली
ना चाह है ना माँग है
सिर्फ़ देने को इनके हाथ हर पल तैयार है
इस मोहब्बत को दिल से
शत शत नमन
हर पल नमन
दिल से नमन
ज़िंदगी भर जो गम दिए आज दिल पारेशान हैं
जो तुम को ना दे सके आज खुद से हैरान है
एक पल को आए वो वक़्त वापस दूँ तुझको जो देना पाए
फिर दिल से एक बार कहूँ की आपकी मोहब्बत को
शत शत नमन
हर पल नमन
दिल से नमन
हमको खिला के भूखे पेट तुम सोए हो
हमारी बीमारी में हम से ज़्यादा तुम ही तो रोए हो
माँ बाप का क़र्ज़ तो अदा हो ना सके
हाँ पर तुम्हारे उन बलिदान को हमारा
शत शत नमन
हर पल नमन
दिल से नमन
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