चाँद कहूँ या मून तुम्हें ,तुमको देखकर दिल ये झूमें |
हो दूर फिर भी पास हो ,अपनेपन का एहसास हो|
तुम्हें देखकर दिल करता है गले लगा लूँ ,तारों को चादर और तुम्हें तकिया बना लूँ |
सादगी है ,शीतलता है तुममें ,प्यारा सा चेहरा है तुममें |
चाँद कहूँ या मून तुम्हें ,तुमको देखकर दिल ये झूमें |
हर रात साथ बिताऊं तुम्हारें ,दिल से गीत गुनगुनाऊँ तुम्हारें |
अपनी चांदनी से लाते हो उजाला ,तभी तो ये दिल हो जाता है मतवाला |
खूबसूरत लगती है तुम्हारी मुस्कान ,हर लेती है ये सारी थकान|
चाँद कहूँ या मून तुम्हें ,तुमको देखकर दिल ये झूमें |
हर दिन करती हूँ तुम्हारा इंतज़ार ,शुरू होती है तुमसे ही बातों की बाहार|
कभी बनाती हूँ तुमको दोस्त सच्चा ,तो कभी बनाती हु तुमको बच्चा |
तुमसे ही तो जुडी है सारी शैतानी ,जैसे सदियों की हो कोई कहानी |
प्यार का रूप हो तुम ,ईश्वर का प्रतीक हो तुम |
चाँद कहूँ या मून तुम्हें ,तुमको देखकर दिल ये झूमें |
साथ तुम्हे जब रहतीं हूँ गम नहीं कोई पास आता है ,
तुम्हारी मुस्कान से ये दिल खिल सा जाता है |
श्वेत चाँदनी में तुम उज्जवल निर्मल लगते हो ,
तन से चंचल मन से कोमल लगते हो |
बिन मेरे तेरी चाँदनी है फीकी सी ,
बिन तेरे मेरी जिंदगी है अधूरी सी |गर साथ हैं हम तो जिंदगी है महकी सी
चाँद कहूँ या मून तुम्हें ,तुमको देखकर दिल ये झूमें |
ऐ चाँद ! अपनी बाँहों को पसारे ,कभी आओ हमारे द्वारे |
तुम्हारी नटखट निगाहों से लगते हो बड़े प्यारे |
एक मुस्कान तो दिखाओ, कभी पास भी आओ |
कब तक करूँ इंतज़ार ,ये दिल है बेकरार |
चाँद कहूँ या मून तुम्हें ,तुमको देखकर दिल ये झूमें |
सर्दी हो या गर्मी ताकती हूँ तुमको ,
मानो तुम्हारी निगाहें झांकती हैं मुझको |
चुप तुम हो ,चुप मैं हूँ ,फिर भी इन खामोशियों में झनझनाहट है ,
तभी तो दिलो में एक सनसनाहट है |
इन सर्दियों में एक सरसराहट है ,लगता है तुम्हारे आने की ये आहट है |
चाँद कहूँ या मून तुम्हें ,तुमको देखकर दिल ये झूमें |
रोज़ बाँहों में झुलाते हो ,सपनों में तुम सताते हो |
एक दिन पास तुम्हारें आऊँगी,तब तुमको तुमसे मिलवाऊँगी|
कान पकड़ के खीचूँगी ,हौले से तब ये पूछूँगी …
चाँद कहूँ या मून तुम्हें ,तुमको
देखकर ये दिल झूमें …!!!!