ओ दिल तोड़ने वाले तूने ……… आज मेरा दिल तोड़ा क्यूँ नहीं ?
ओ मुँह मोड़ने वाले तूने ……… आज मुझसे मुँह मोड़ा क्यूँ नहीं ?
मैं राह तकती रही तेरे तानों की ,
उन आधे अधूरे फसानों की ,
उन फसानों को ना दोहराने वाले तूने ……… आज उन फसानों के पन्नों को खोला क्यूँ नहीं ?
ओ दिल तोड़ने वाले तूने ……… आज मेरा दिल तोड़ा क्यूँ नहीं ?
मुझे है पता अब कि तूफां जरूर आएगा ,
बिन बरखा के ही सब ढह जाएगा ,
ओ तूफां को लाने वाले तूने ……… आज बरखा का रुख इधर मोड़ा क्यूँ नहीं ?
ओ दिल तोड़ने वाले तूने ……… आज मेरा दिल तोड़ा क्यूँ नहीं ?
मैंने माना है नियति अब अपने रिश्ते को ,
इसके खट्टे-मीठे स्वाद का रस चखने को ,
ओ खटास चखाने वाले तूने ……… आज मुझे बेस्वाद छोड़ा क्यूँ नहीं ?
ओ दिल तोड़ने वाले तूने ……… आज मेरा दिल तोड़ा क्यूँ नहीं ?
मैं भोली सी तेरी हर ख्वाइश में जीऊँ ,
मगर जब कभी अपने दिल की कहूँ ,
ओ उस दिल की भी ना सुनने वाले तूने ……… आज मेरी उस ख्वाइश को अधूरा छोड़ा क्यूँ नहीं ?
ओ दिल तोड़ने वाले तूने ……… आज मेरा दिल तोड़ा क्यूँ नहीं ?
तेरी हाँ में कहूँ जब हाँ तो भली ,
तेरी हाँ में कहूँ जब ना तो बुरी ,
ओ मुझे बुरा सा ठहराने वाले तूने ……… आज मेरी ना में बदन तोड़ा क्यूँ नहीं ?
ओ दिल तोड़ने वाले तूने ……… आज मेरा दिल तोड़ा क्यूँ नहीं ?
मैंने दिल को समझाया आज बहुत ,
कि मत हो उदास अपने कर्मो पर ,
ओ मेरे कर्मो को लिखने वाले तूने ……… आज मेरे कर्मो को दफ़्न किया क्यूँ नहीं ?
ओ दिल तोड़ने वाले तूने ……… आज मेरा दिल तोड़ा क्यूँ नहीं ?
मैं इस टूटे दिल की हो चुकी हूँ अब आदी इतनी ,
कि जुड़ा दिल देता है अब और ज़ख्म कहीं ,
ओ ज़ख्मों को देने वाले तूने ……… आज इन ज़ख्मों को कुरेदा क्यूँ नहीं ?
ओ दिल तोड़ने वाले तूने ……… आज मेरा दिल तोड़ा क्यूँ नहीं ?
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