दोहरे मापदंड
माँ बेटे से बोली मेरे प्रेम में कोई स्वार्थ नहीं.
बड़े कष्टों से जना है तुझको, तेरे बिन जीने का अर्थ नहीं.
खुद खाना खाने से पहले, तुझे खिलाया करती थी.
तुझे बिछौने पर लेकिन खुद नीचे सोया करती थी.
भूल न जाना तुम मुझको. इससे बढ़कर कोई पाप नहीं.
बड़े कष्टों से जना है तुझको, तेरे बिन जीने का अर्थ नहीं.
तेरी बीवी है बड़ी स्वार्थी, रहती है अभिमान में.
तू उसको औक़ात बता दे, झुकी रहे मेरे सामने.
उसकी माँ को है लोभ बड़ा, बेटी से क्यों वह बात करे.
तेरी बीवी के पैसों पर मेरे भी हैं अधिकार बड़े.
क्या बेटी की माँ उसको सड़कों से लेकर आयी थी.
क्या उसको जनने में उसने पीड़ा नहीं उठाई थी.
क्यों उसके जीवन में माँ तुम सुख के दिए बुझाती हो.
अपनी बेटी को पास बुला क्यों घंटों तुम बतियाती हो.
आदर ह्रदय से कभी भी माँ, मांगे से मिला नहीं करते.
बस प्रेम ही तो वह डोर है जिसके बिन दिल जुड़ा नहीं करते.
माँ का दर्द
मैं दुनिया देख रहा हूँ माँ, तेरे ममता भरे नैनों से.
एहसास है तेरे सुख-दुःख का, बहार आ चिंतित रैनो से.
जब घर से तुझे निकाला था, तेरे भाड़े के रिश्तों ने.
मैं साथ तेरे था माँ मेरी, महसूस किया दुःख किश्तों में.
तेरे मन की बात मैं सुनता हूँ, तेरे गीतों में रम जाता हूँ.
भयभीत करे जब यह दुनिया, तो कुछ पल को थम जाता हूँ.
बापू की यादों का टुकड़ा मेरे अंतर्मन में भी है.
पर मान ले माँ यह पति तेरा निर्दयी, निष्ठुर , और लोभी है.
बहार आ कर इस दुनिया में, यूँ ही हर पल दिल टूटेगा.
डर जाता हूँ मैं क्या यूँ ही वह चैन हमारे लूटेगा.
पर फिर भी तेरे लिए मुझे माँ जन्म यहाँ पर लेना है.
तेरे आँसूं का मोल मुझे अब इस दुनिया से लेना है.
तू नहीं अकेली है अब माँ, आँसू न बहा यूँ नैनों से.
एहसास है तेरे सुख-दुःख का, बहार आ चिंतित रैनों से.