In this Hindi poem the poet is requesting her husband not to stop her from writing as writing is her passion and motive of her life.

Hindi Poem – Don’t Stop Me To WRITE
Photo credit: cohdra from morguefile.com
“राणा” कहे ……तू छोड़ दे लिखना ,
हासिल ना होगा तुझे कुछ …..इस ज़माने से ।
वो क्या जाने ……मुझे क्या सुकून मिले ,
फिर क्यूँ हासिल करूँ ……मैं कुछ ज़माने से ?
एक यही तो है आग बाकी ……..जो सुलगती है अब सीने में ,
गर इसे भी बुझा दिया उसने …..तो बाकी क्या बचेगा फिर जीने में ?
ये जरूरी नहीं कि हर शौक की …..कीमत कोई आकर आँके ,
ये जरूरी नहीं कि मेरे लेखों को ……ज़माना कभी पढ़कर बाँचे ।
बस एक जूनून सा लिए मैं लिखने लगी …..यूँही किसी बेताबी में ,
हाँ एक जूनून सा लिए मैं लिखने लगी …….यूँही किसी खुमारी में ।
मत रोक मुझे ए राणा तू …….इस लिखने की परछाई से ,
मत रोक मुझे ए राणा तू …….मेरे अन्दर बसी गहराई से ।
कोई शौक करे मयखाने का …..कोई जुए में सब कुछ गँवा बैठा ,
कोई भोगे औरत का मधुरस ……कोई अपने जूनून की खातिर सब कुछ लुटा बैठा ।
मैं तो बस शौक रखूँ कुछ लिखने का ……उसमे भी “राणा” तू रोक रहा ,
मत कर बेबस मुझे इतना तू …..कि मेरा वजूद भी मुझसे तू छीन रहा ।
घिरने दे मुझे इन शब्दों के भरम में ……ये एक दिन मेरी आवाज़ बनेगी ,
लिखने दे मुझे इस झूठी कलम से ……इन्ही शब्दों की मेरी एक दिन किताब बनेगी ।
मैं यही सीख दूँगी सभी को जहान में ……कि जब भी कभी तुम हो जाओ उदास ,
थाम “कलम” को लिख देना तब अपने …..जीवन का बहता कोई करुणा भरा राग ।
“राणा’ मैं तेरे संग बँधी ……सात फेरे लिए अग्नि के चारों ओर ,
पर उन सात फेरों में ये नहीं था लिखा ……कि मैं तेरी मर्ज़ी से दूँ सब छोड़ ।
मत रोक मुझे लिखने से तू …..कर मेरी भी इस बात का यकीन ,
कि लिखने वाले ही होते हैं सदा …..जो वफ़ा लिए होते हैं दिल में कहीं ॥
***