दोस्ती-साथी साथ निभाना
अपनी दोस्ती दोस्ती क्षणिक नही, है जन्मो का साथ;
तुम हर मुश्किल मे काम आये, न देखी दिन या रात।
कैसे करु धन्यवाद तुम्हारा, जब मै अकेला आया था;
दोस्त बनाया, साथ निभाया, कभी न छोङा हाथ।।
मुझे यकी है आगे भी तुम दोगे मेरा साथ;
कोई न होगा तब हाथो मे तुम्हारा होगा हाथ।
गलत राह पर जाने से रोकते भी है हम;
यही तो है अपनी दोस्ती की सबसे अनूठी बात।।
दोस्त बनाये नही जाते, वही है दोस्ती जो खुद बन जाये;
सच्चा दोस्त भी वही जो, जब कोई न हो साथ तब साथ निभाए।
दोस्ती लोकतंत्र का खेल नही, भावनाओ का जाल है;
कृष्ण भी 100 कौरव को छोङ 5 पांडव के साथ आये।।
इंसान की प्रवृति है, जाना भीड के साथ है;
भीड से हटकर कुछ करो तभी तो कोई बात है।
अगर आप भी दोस्त छोङकर भीड के साथ जाओगे,
तो बताओ फिर ‘अपने’ और ‘परायो’ मे क्या अलग बात है।।
‘बेस्ट फ्रेंड’ एक शब्द नही, यह तो एक वादा है;
गलत बात पर डांट भी दे तो उसका नेक इरादा है।
‘बेस्ट फ्रेंड’ कहने से नही, बनते है निभाने से;
जो बुरे समय मे काम आये वो ‘बेस्ट फ्रेंड’ से ज्यादा है।।
कोई भी रिश्ता लड़ाई से अछूता नही है;
दोस्तों मे लड़ाई होना अनूठा नही है।
समझ लेना उस यारी मे जान नही है;
गर आपका यार आपसे रुठा नही है।।
मैंने सुना था लड़ाई से बढता हमेशा प्यार है;
लड़ाई से दोस्ती मे कभी पड़ती नही दरार है।
कोई नही यहाँ अंतर्यामी जो बिना कहे सब जानेगा;
तुम अपना दर्द न बांट सको तो दोस्ती का क्या सार है।।
कुछ दोस्त तो दूर हो गये पर करते हमेशा याद;
कुछ दोस्त ‘खो’ चुके पर दिल मे बसी है याद।
दिल मे हमेशा रहेंगें वो जो बस गये एक बार;
चाहे अब जिवन मे कभी न हो मुलाकात।।
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योगेश पोरवाल