“दुआ”:एक शब्द अभूतपूर्व लाभ के साथ
“दुआ” एक ऐसा शब्द है हूँ मैं जिसके तलाश में लोग अच्छे अच्छे कामो को अंजाम देते हैं….
कुछ अपने लिए तो कुछ अपनो से भी अपनो के लिए मेरे फरियाद करते हैं….
मांगते है भगवान से मुझे इतना कि मेरा मोल बढ़ा जाते हैं…
हर पल अपने करीबियों को लोग बस मुझे ही तो देते जाते हैं…
कभी मैं बनती हु किसी के ठीक होने की फरियाद तो कभी किसी की खुशियों को पा जाने की आस….
सच कहूं तो मेरे रंग रूप है हज़ार…
जिनके आगे पैसे भी है बेकार….
अनमोल हु मैं इतनी की कोई भी इंसान किसी भी भाव मे मुझे खरीद नही पाता है….
एक प्यार ही तो वो मोल है मेरा जिससे मेरी फरियाद करने वाला अपनी ज़िंदगी मे मेरा साथ पाजता है….
ऑंखें बंद हो या खुली साथ मेरे हमेशा ही रहेगा….
चाहे छोड़ दे दुनिया का साया तुम्हे कड़ी धूप में पर मेरा साया छाव बनके उस समय तुम्हारे साथ रहेगा….
बस शर्त मेरी इतनी से रहती है कि मुझे नाम किया गया हो तुम्हारे माँ बाप ने या बड़ो के आशीर्वाद ने….
या उन फरियाद में जिसमे किसी का कोई स्वार्थ न छुपा हो….
अगर कोई नाम तुम्हारे नाम इन लोगों ने मुझे तो तुम्हारे संग चलते जाने का विश्वास भी में तुम्हे दिलाती हूँ….
ओर मेरा साथ बेशक न दिखे तुमको पर एक बार जो नाम किआ गया हो तुम्हारा साथ चलते जाने का विश्वास भी में तुमको दिलाती हूँ….
सच कहूं तो हर पल मेरा साथ पाने के लिए तड़पते है लोग कभी पैसे खर्च करते है तो कभी अच्छे काम करते है लोग….
पर उसके बाद भी मुझे न पाने के दर्द में तड़पते है लोग….
अपना बनाने का प्रयास यूँही बेकार ही करते है वो लोग……
दिल में स्वार्थ लिए मुझे पाने की कोशिश करते है जो लोग…..
पर शायद जानते नही है ऐसे लोग की एक निःस्वार्थ भावना ही ऐसी है जो मुझे पाने का रास्ता बन जाती हैं….
भावना निःस्वार्थ मन से की हुई हो जो अगर तो मुझे वो बहुत ही भाती हैं…
खुद को नाम करने से खुदको उन लोगों के फिर रोक में भी ना पाती हूँ…
साथ जो मिलता है एक बार मेरा वो इस दुनिया में ही नहीं तुम्हारी उस दुनिया मे भी काम आएगा, इसका भी विश्वास में तुम्हे दिलाती हुँ…
तुम्हारा हर समय में ही तो हु जो साथ निभाता हैं….
इसीलिए सोच कर दुआ की दुआएं मैं तुम्हारे बिना जाने नाम तुम्हारे कुछ दुआएँ करना चाहता हूँ….
सबसे प्यारा गिफ्ट जान कर कुछ दुआ तुम्हारे नाम करता हु, नहीं जानता ये दुआ मेरी निःस्वार्थ मानी जाएगी या नहीं पर फिर भी तुम्हारे लिए इसको में याद करता हूं….
और तुम्हारे बिना बताए इसको तुम्हारे नाम करता हूं…
दुआ है मेरी की यह दुआ तुम्हारे कुछ काम आ जाये, वक़्त पड़ने पे तुम्हारा साथ निभाए, कमज़ोर जो होने लगो तुम तो तुम्हारी हिम्मत बन जाएगी और फिर से तुम्हे ये खड़ा कर जाएगी………
जब कोशिश तुम करो तुम कुछ मंज़िल को पाने की तो साथ तुम्हारा ये हौसला बन कर निभाएगी…….
पाने में मंज़िल चाहे मुश्किल ही सही, तुम्हारे होंसले को ये टूटने से बचाएगी…..
मुश्किल में हर कोई जब साथ तुम्हारा छोड़ जाएगा…
जब हर कोई मुँह तुमसे मोड़ कर दूर हो जाएगा तब भी मेरी ये दुआ ही साथ खड़ी होगी तुम्हारे ओर तुम्हारी हिम्मत बन कर तुम्हारा साथ निभाएगी……
कुछ और शायद इतना साथ न निभा पाता, तुम्हारे साथ वो इतनी देर के लिए ना रह पाता……..
मेरे पास इसके अलावा कुछ और खास ना था…
पैसे रुपया में खरीद लाऊ कुछ और दे दु एक पल की खुशी के लिए मुझे ऐसी किसी भी चीज़ पर ऐतबार ना था…
इसीलिये मैंने आपको देने के लिए इस दुआ को है चुना…
ऐसा करके मैंने कोई गुनाह तो नहीं है किया….
दुआ है मेरी ये दुआएँ मेरी आपकी ज़िंदगी फूल की तरह महका जाएँ …
ओर रहूँ में या ना रहूँ तुम्हारा साथ हमेशा ये निभाए….
तुम्हारा साथ हमेशा ये निभाए….
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-नीर