कुछ साल पहले मैं खड़ी थी अकेली … बिलकुल अकेली ,
फिर एक हाथ आया ,
मुझे खींच उसने बाहर निकाला ,
और एक कारवाँ बनता चला गया ।
कारवाँ बनने की …….. ये एक कहानी ,
जिसने थी सुनी ……. उसे हुई बहुत हैरानी ,
सिर्फ एक हाथ ने …… जो था कर दिखाया ,
हज़ार हाथों का दिया था ……… उसने अकेले सहारा ।
ये सहारा नहीं था …… पड़ा उसको महँगा ,
ये एक हौसला था ……… एक अच्छी नीयत का ,
जिसमे थी एक चेहरे की ……… भोली सी हस्ती ,
जिसमे मिलती थी दूसरे एक चेहरे को ……… नई बस्ती ।
वो चेहरा जो था कभी ….. मुरझाया हुआ सा ,
उस चेहरे को खिला …… उसने जादू किया था ,
एक जीने की आशा को …….. जगा कर किसी के दिल में ,
वो हँसता रहा ……… मन ही मन में अपने ।
उसके समझाने का ऐसा …….. एक असर सा हुआ ,
वो मुरझाया सा चेहरा ……. खिल के फूल बन हँसा ,
अपने आने वाले ……. एक भविष्य को सजाकर ,
मैं चल पड़ी …… जहाँ खुशियाँ हों हर जगह पर ।
जहाँ पहले थी ……… एक दिशा अँधेरी ,
पर दिखने लगी थी …….. अब हर दिशा सुनहरी ,
उस दिशा पर चलके ……… मिला एक किनारा ,
जहाँ औरों ने भी ……… अब दिया था सहारा ।
हम अकेले जब खड़े हो …… इस जीवन सफर में ,
तब एक हाथ ही होता ……… जो पकड़ता इस डगर में ,
वो खींचता तब हमें …… पूरा दम लगा के ,
ये हम पर है कि हम चढ़ते ……… कितना ज़ोर लगा के ।
वो छोटा सा सहारा ……. बन जाता तब एक सवेरा ,
जो करता है दूर ……… इस जीवन का अँधेरा ,
पर उस सहारे को पाना भी …… एक किस्मत का मौका ,
क्योंकि कभी-कभी उसमे भी …….. मिल जाता है धोखा ।
इसलिए कोई हाथ तुम्हारी ओर …….. जब कभी बढे ,
तब उस हाथ को पहचान …….. पूरे करना अपने सपने ,
बस उस हाथ में कभी भी ……… अभिमान मत लाना ,
और उस हाथ के सहारे …….. एक नया कारवाँ तुम बनाना ।।
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