Hindi poem highlights the Extra Marital Affair situation in which the Husband is very near to doubt about Her wife’s affair with another person and the wife is admitting the same in Her thoughts and agree that its all due to Her heart mistake instead of Her own.
तेरे शक पर गिला नहीं ……… तेरा शक लाज़मी है ,
मेरे दिल की भी खता नहीं ………… ये आखिर दिल ही तो है ।
तूने समझा जो होता पहले …… तो ये शक भी ना पनपता ,
तूने समझा हमें अब जाकर ………. जब ये शक लाज़मी है ।
बहुत रोका हमने खुद को ……… पर ये खता हो ही गई ,
तू जो चाहे वो सज़ा दे दे ………. अब ये शक लाज़मी है ।
मैं भटकती हुई इन राहों में ……… उससे आ ही मिली ,
वो जो थाम बैठा तब मेरा हाथ ………… तो ये शक लाज़मी है ।
कह दिया हमने उसे आज …… कि तुम अब करने लगे हो हमसे गिला ,
सुन लिया उसने सब हँसकर ………. तेरा शक लाज़मी है ।
ये भँवर कभी था तेरा और मेरा ……… भरा है इसमे अब उसका भी तरन्नुम ,
तू बता छोड़ दें फिर उसे कैसे ………. अब ये शक लाज़मी है ।
मैं फ़साना नहीं हक़ीक़त बयाँ ……… करने लगी हूँ तुमसे अब ,
सुन सको गर तो सुनो इसको ………… कि तेरा शक लाज़मी है ।
पर तुमने जो सोचा है दस कदम आगे …… मैं हूँ अभी बहुत पीछे उससे ,
पर जो ना तू अभी भी संभला ………. तो तेरा शक लाज़मी है ।
लाख कोशिशें की थी मैंने भी कभी ……… खुद से संभल जाने की ,
लेकिन हर कोशिश में तूने जला डाला ………. तेरा शक लाज़मी है ।
ये कसूर ना है मेरा और ना उसका ……… फिर कैसे कह दूँ इसको चोरी ,
ये तो एक खालीपन की वजह बन गई ………… जिसमे तेरा शक लाज़मी है ।
बात मुद्दत से जो दबी थी दिल में …… उसे तेरे शब्दों ने आज कह ही दिया ,
होगी ना कोई तकलीफ अब तुझे इसे मेरे शब्दों से सुनने में ………. तेरा शक लाज़मी है ।
तेरे शक पर गिला नहीं ……… तेरा शक लाज़मी है ,
मेरे दिल की भी खता नहीं ………… ये आखिर दिल ही तो है ।।
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