This Hindi poem highlights the importance of men and emphasizes the women to recognize their contribution as they too are involved behind the success of any women
हर मर्द दुनिया में …..दगाबाज़ नहीं होता ,
हर मर्द इस जहां में …….सौदेबाज़ नहीं होता ।
जिस तरह से औरत का हाथ होता है …..किसी मर्द की कामयाबी में ,
उसी तरह से मर्द की भी साझेदारी होती है ……औरत की सफलताओं में ।
मैंने जब-जब भी ऊँचाई को पाने के लिए ……कदम अपना कोई बढ़ाया ,
तब किसी न किसी मर्द ने उसमे ……अपने होने का एक एहसास कराया ।
किसी ने दफ्तरों में दौड़ लगा …….मेरे कागजों को एक पहचान दी ,
तो किसी ने छाती ठोक अपने सीने की ……मेरी राहों में एक नयी जान दी ।
कोई धूप में खड़ा होकर भी ……मेरा हाथ छाँव में घसीट रहा ,
तो कोई बिना नाम …..बिना पहचान के …..मेरे अरमानो में खुशियाँ बिखेर रहा ।
कोई दोस्त बन इन राहों का ……मेरा मददगार बना ,
तो कोई भाई का रिश्ता बना …….अपनी बहना का सपना संवार रहा ।
ना जाने फिर भी क्यूँ ये “औरत” जात ……मर्दों से इतना घबराती है ,
हर दूसरे “मर्द” पर …….”वहशी दरिन्दे” की संज्ञा लगा जाती है ।
कभी मर्दों को गर मर्दों की नज़र से …..समझने की वो कोशिश करे ,
तो उनके पास भी “दिल” होता है …..ये जान ……उनके वजूद की वो कद्र करे ।
हाँ ,ये सच है कि …..धोका खा जाती हैं अक्सर …….मर्दों से ही नारियाँ ,
मगर उस धोके के पीछे छिपी होती हैं ……उनकी ही बेवफाई भरी कहानियाँ ।
घर पहले ही कोई मर्द ……औरत की सच्चाई से रु~ब~रु होगा ,
तो वो औरत से दगाबाजी की …….कभी भी कोई भूल न करेगा ।
मर्द अक्सर ऐसे होते हैं …..जो औरत की समाज में ……एक पहचान बना जाते हैं ,
उसको कामयाबी की सीढ़ी चढ़ा ……खुद उस सीढ़ी की ….. एक शाख बन जाते हैं ।
इसलिए मर्दों को पहचानने की …….हो सके तो एक कोशिश जरूर करना ,
सिर्फ “मर्द” समझकर उसको दुत्कारने की …….मत छोटी सी कभी भी ये भूल करना ।।
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