Family Tree – A Facebook Identity: This Hindi poem highlights the human feelings that is dying in this changing era as now a days the relations are cutting off very frequently and people are happy with the new persons which they entertained on the social networking sites.
कक्षा तीन में पढ़ रहा “प्रणव”….कल आकर के अपनी माँ से बोला ,
माँ मुझे भी बनवा दे तू …….अपने परिवार के वृक्ष का हिंडोला ।
माँ ने झटपट से ……..कागज़ पर एक चित्र बनाया ,
अपने परिवार वालों के वहाँ नाम लिख …….पिता के परिवार वालों के लिए थोडा Space बचाया ।
बोली नाम इनके मालूम नहीं …….तुम शाम को पापा से भरवा लेना ,
टीचर पूछे गर परिवार के बारे में तो कहना …. कि बड़े से परिवार की छत्र छाया है अपना गहना ।
देखना तुम्हे जरूर प्रथम स्थान मिलेगा …….जब बड़े से परिवार का जिक्र वहाँ हर कोई सुनेगा ,
क्योंकि सम्मिलित परिवारों की अब दुर्दशा आ चुकी है ….और एकाकी परिवारों की हस्ती लिखी जा चुकी है ।
शाम को पापा ने आकर बड़ी मुश्किल से बाप-दादायों के नाम निकाले ….और कर दिए उनको कागज़ के हवाले ,
बोले सत्यानाश हो इन स्कूल वालो का …..जो आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में भी ….करवाते हैं स्याही से ये पृष्ठ काले ।
अगले दिन “प्रणव” जाकर टीचर से बोला ….कि मैडम अपने परिवार का तो हर शख्स ही ……है बहुत भोला ,
परिवार तो है मैडम मेरा बहुत ही विशाल ….मगर लोग उसके रहते हैं सब ….नदिया के विपरीत ताल ।
टीचर समझ गई …कि यहाँ भी है सारी Grading की चाटुकरी ,
इसलिए तुरंत बोली कि कल लगाकर आना ……यहाँ पर परिवारवालों की फोटो बड़ी-बड़ी ।
घर पहुँच कर “प्रणव” ने जैसे ही ये बात माँ को बताई …….माँ के तो एकदम से होश उड़ने जैसी बारी आई ,
बोली बड़ी मुश्किल से तो इन नामों को सुझाया था ……अब फोटो के लिए मैडम ने ये शादी का एल्बम खुलवाया था ।
जैसे-तैसे दोनो परिवार वालों को ……वहाँ से हटाकर नोटबुक में चिपकाया ,
“प्रणव” बस A Grade ले आए …..यही सोच इस Family Tree को सजाया ।
एल्बम की फोटो लगी देख …..मैडम का फिर से माथा ठनकाया ,
और अबकी बार उसने सारे परिवार वालों से मिलने का …..फरमान जारी कराया ।
घर पहुँचने के बाद जब माँ-बाप ने जानी …….मैडम की ये अनोखी चाल ,
तब सोच में पड़ गए दोनों कि कहाँ से बुनेंगे अब ……परिवारवालों के चेहरों का जाल ।
इस कलयुग में रिश्तों के मायने ही ……अब बाकी कहाँ थे ,
माँ-बाप से लेकर …..सारे रिश्तेदार ही फ़ना थे ।
मगर फिर अचानक से एक बवाल आया …….उन अनगिनत रिश्तों का ख़याल आया ,
जो रोज़ Facebook पर बनते जाते हैं ….और अपनों से ज्यादा दिल लगाते हैं ।
बस तुरंत ही अपनी FB की login का Id दबाया …..और देखते ही देखते वहाँ हज़ारों रिश्तों को अपनी List में पाया ,
किसी को चाचा तो किसी को मामा कहकर मिलवाया …….और जो समझ ना आया उसे दादा- नाना के Tag से सजाया ।
दादी-नानी ,मौसी-बुआ ……..ढेरों रिश्ते खड़े थे वहाँ थामे हाथ ,
फिर काहे की टेंशन लें …..बुलाकर रिश्तेदारों को अपने घर एक -साथ ।
‘प्रणव” को दिखाकर सब चेहरे उसे साथ ये भी समझाया ………कि जाकर कहना अपनी मैडम से इस बार ,
कि समय की कमी के कारण ……मैं Facebook से ही देख पाया अपना सब परिवार ।
मैडम ने जब सुनी कहानी …….”प्रणव” की जुबान से ,
तब इतना तो वो भी समझ गई …..कि Facebook पर कभी नहीं मिलते …..परिवारवाले इतनी शान से ।
बोली बेटा Grade आपको C मिला है …इसमें आपका ना कोई कसूर है ,
बस रिश्तों का महत्व अब Facebook पर है ज्यादा …….और ये सब Social Networking Sites की भूल है ॥
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