This Hindi poem highlights about those old aged ministers whose name are indulged in many sex scandals with the young guys and young girls
हमारे देश के नेता भ्रष्ट ,
चखने चले सोम रस ,
उम्र का लिहाज़ तो किया होता ,
कहते हैं हमारे हैं नाती -पोता ।
खुद के मुँह में दाँत नहीं ,
ख्वाइशों में चिकने शबाब कहीं ,
उम्र का चल रहा आखिरी पड़ाव ,
बात करते हैं जवाँ हसीनायों के संग ….बिताने को रात ।
हवस का दिखा रहे ऐसा नंगा नाच ,
नौकरी दिलाने के बदले चाहते एक साथ पाँच ,
बात करते हैं कि “पार्टी” जितायो ,
और जब वो जीत जाए ….तब उसमे “शबाब” की आग लगायो ।
हमने ही दिए थे उन्हें “वोट” ,
ताकि वो खर्चें रोज़ नए नोट ,
अब जब पानी हमारे सर से गुज़रा ,
तब हम सोच रहे हैं विकल्प कोई दूजा ।
पर जितने भी विकल्प हम नए चुनेंगे ,
दो-चार भ्रष्ट तो उसमे जरूर घुसेंगे ,
जिन्हें मिल जायेंगे फिर से पाँच साल ,
तंदूरी मुर्गी और तड़के वाली दाल ।
फिर क्यूँ ऐसे “बुजुर्गों” को ,
हम सीट पर बिठाते हैं ?
जिन्हें कुर्सी का ज्ञान नहीं ,
और वो बस नेता बन इठलाते हैं ।
देश के नेता हों सभ्य ,पढ़े-लिखे और कर्मठ ,
मगर “साठ” के ना हों पार ,
क्योंकि ये “साठ” ही वो उम्र है ,
जब सठिया जाती है उनकी तबियत …नदिया के पार ।
तब ना “मर्द” और ना “औरत” में ,
फर्क उन्हें नज़र आता है ,
बस अपनी कुर्सी के दम पर ,
उनका “वहशी” मन ललचाता है ।
कभी सभायों में पकड़े जाते हैं ….
अपने “मोबाइल” में झाँकती नग्न तस्वीरों के साथ ,
और कभी “सी .डी” बन जाती है ,
उनकी काली करतूतों की सौगात ।
कब तक हम इस तरह के “Sex Scandal” ….अखबारों में पढ़कर ,
दाँतो तले ऊँगली दबाएँगे ,
क्या ये अच्छा नहीं होगा कि ऐसे नेतायों को उम्र भर के लिए ,
जेल की हवा खिलाएँगे ।
इसलिए ऐसी सभी पार्टियों को ,
ये शपथ अभी से लेनी होगी ,
कि “नसबन्दी” के बाद ही नेतायों को यहाँ ,
चुनाव लड़ने की आज्ञा देनी होगी ।
अगर समय रहते नेतायों पर ,
प्रतिबन्ध नहीं लगाया जाएगा ,
तो “देश” की प्रगति से ज्यादा ,
नेतायों की प्रगति से ही “संसद” गर्माया जाएगा ॥