हम मरते दम तक उनसे कहते रहे ……… कि हमें उनसे प्यार नहीं ,
मगर दिल ही दिल में रहे हमेशा ……. उनके तलबगार कहीं ।
वो चले जाते हैं तो हर शाम …….. बेगानी सी लगती है ,
वो लौट आते हैं तो हर शाम …….. दीवानी सी लगती है ,
हम मरते दम तक उनसे कहते रहे ……… कि हमारा उन पर कोई इख्तियार नहीं ,
मगर दिल ही दिल में रहे हमेशा ……. उनके तलबगार कहीं ।
उनसे मिलने के बाद जिस्म में …….. एक अजीब सी हलचल होती है ,
उनके चले जाने के बाद इस जिस्म की …….. हर हलचल में बेहोशी होती है ,
हम मरते दम तक उनसे कहते रहे ……… कि वो हैं एक मीठा सपना कहीं ,
मगर दिल ही दिल में रहे हमेशा ……. उनके तलबगार कहीं ।
हम जब भी अक्सर उदास होते हैं …….. तो ढूँढ़ते हैं उन्हें ही कहीं ,
और जब भी खुशियों के पंख लगते हैं …….. तो भी उड़ते उनके संग ही यहीं ,
हम मरते दम तक उनसे कहते रहे ……… कि हमें उनसे कोई चाहत नहीं ,
मगर दिल ही दिल में रहे हमेशा ……. उनके तलबगार कहीं ।
उनके नशे में अक्सर ही …….. बह जाते हैं हम दीवाने होकर ,
फिर उसी नशे को दोहराते हैं …….. जब संग होते हैं पैमाने के मयसर ,
हम मरते दम तक उनसे कहते रहे ……… कि हमें उनकी कोई जरूरत नहीं ,
मगर दिल ही दिल में रहे हमेशा ……. उनके तलबगार कहीं ।
वो पूछते हैं कि जलने की कीमत …….. क्या यहाँ जलकर होगी ,
हम कहते हैं कि हर जलने पर …….. जलने की और मोहलत होगी ,
हम मरते दम तक उनसे कहते रहे ……… कि हमें उनका खुमार नहीं ,
मगर दिल ही दिल में रहे हमेशा ……. उनके तलबगार कहीं ।
इश्क़ को हर बार शब्दों से बयाँ करना …….. कोई इश्क़ नहीं ,
इश्क़ जो एहसासों में घुलता है …….. बस होता है इश्क़ वही ,
हम मरते दम तक उनसे कहते रहे ……… कि हमारा उनका कोई मेल नहीं ,
मगर दिल ही दिल में रहे हमेशा ……. उनके तलबगार कहीं ।
हम मरते दम तक उनसे कहते रहे ……… कि हमें उनसे प्यार नहीं ,
मगर दिल ही दिल में रहे हमेशा ……. उनके तलबगार कहीं ।।
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