Innocent Love – In this Hindi Poem the poetess is admitting that sometimes She becomes innocent to fetch the love of His lover though she knows that its a wrong way to get it.
उम्र घटने लगी तेरे आने से ….हम होने लगे जवान ,
तेरा इश्क इतना सुरीला …..कि हम बन बैठे नादान ।
भूल पर भूल किए जा रहे थे ……नासमझी को दे अंजाम ,
फिर भी दिल ये कहता रहा ……कि ऐसे ही बने रहो नादान ।
तुम बाहों में जैसे ही भरते …..तो लगता यहीं है मेरा जहान ,
सिमट कर उनमे कहीं खो जाते ……और बन जाते फिर से नादान ।
समझा ही नहीं था अब तक किसी ने ………कि क्यूँ रहते थे हम परेशान ,
तुमने जो हाथ बढ़ाया अपना …..तो थाम लिया उसे बन नादान ।
मालूम था ये हमें भी कि …….कभी-कभी नादानी भी कर देती है बदनाम ,
ये सोच जब भी दिल डरने लगता …..तो और ज्यादा बन जाते नादान ।
कुछ तो बात है तुममे …..जो हमें कहती है कि तुम्हे पहचान ,
हम लफ़्ज़ों से कहते रहे इसलिए …..कि तू बनती रह थोड़ी और नादान ।
उम्र नादानी की बीत गयी तो क्या …..हर उम्र की अपनी ही होती है एक शान ,
किस्सा ये खुद~ब~खुद गहराया ……हम तो बस बने रहे नादान ।
एक तरफ दिल मुझको खींचे ……एक तरफ कहे चल आँखें मींचे ,
तेरी मस्ती की मस्ती में डूब जा …….जितना हो सके बन नादान ।
जब-जब सोच समझ के ये दिल तुमसे लगाया ……तब-तब कुछ कहना भी ना आया ,
जब सिर्फ तेरी मस्ती में डूब मस्ती को अपनाया …..तब मज़ा बन नादान होकर ही आया ।
नादान सी मोहब्बत की लिखी जा रही थी …..ये नादान सी दास्ताँ ,
जिसमे नादान बन नादानी से तय कर रहे थे ……दो जवान दिल अपना-अपना रास्ता ।
जहाँ सोच थी ,समझ थी ……फिर भी दिल में कहीं था एक वास्ता ,
जिसे तय करने की खातिर …..अपनाना पड़ता था नादानी का ही रास्ता ।
उम्र अगर घटती है …..साथ किसी का पाने से ,
तो क्या फर्क पड़ता है …….नादान मोहब्बत अपनाने से ?
अगर दोनों को सुकून है ….एक-दूसरे की खुमारी से ,
तो चाहतों को रुकने ना दो …..और करो प्यार बन नादानी से ।
गर है साथ किसी का प्यारा और उस पर साथी भी मतवाला ….तो होने दो कत्ल~ए~आम ,
यही तो सच्चा इश्क है ….जिसमे डूब जाते हैं हम बन नादान ॥
***