In this Hindi poem the poetess requesting her lover not to go far away from her even for some days as she become very depressed on those days
तुम्हारे आने से सच में “बहार” ……आ जाती है मेरे जीवन में ,
कहीं जो था खाली सा सफ़र …..उसका मुसाफिर मिल जाता है “प्रेम नगर” में ।
कितना तन्हा सा हो जाता है ये दिल …. जब तुम कहीं चले जाते हो ,
हज़ार बातें सीने में दफ्न कर …….मेरे अरमानो को सताते हो ।
तुम्हे पाकर ऐसा सुकून मिले ……जैसे बादल बरसे अम्बर में ,
कभी गरजे ….कभी तड़पे ……कभी चुपचाप हँसे अकेले में ।
तुम्हारा साथ सा जाने क्यूँ मेरे यार …..अपने आप से भी ज्यादा अच्छा लगे ,
तुम आ जाते हो जब लिए “बहार” ……. मुझे सपना तब अपना सच लगे ।
हमने हर बार तेरे काँधे पर …..अपना सर रखकर यही है पाया ,
कि जिंदगी जीने के लिए बनी है …..चाहे धूप हो उसमे या हो छाया ।
तुम्हारा करम हर बार मुझमे …..एक नया हौसला सा भर दे ,
मैं जब भी टूटने सी लगती हूँ ……. तुम्हारे शब्द उसमे रौनक कर दें ।
तुमसे बिछड़ कर अक्सर मैं ……..खुद को कमज़ोर बना लेती हूँ ,
कभी कुछ कदम चल कर ही खुद को ………खुदी से गिरा लेती हूँ ।
तुम्हारी हस्ती ही ऐसी है मेरे यार …….जो भर देती है मेरे मन में प्यार ,
तुम भला कहो या बुरा कहो …..बस इतना पता है कि मुझे है तुमसे प्यार ।
मत जाया करो मुझे तन्हा यूँ छोड़कर ……मैं तन्हाई में खुद को डूबा लेती हूँ ,
ना जाने क्यूँ बस दिल ही दिल में अपने हौसले ……..कटे पंछी की भाँति बना देती हूँ ।
सब कहते हैं कि जुदाई कुछ दिनों की …….और भी करीब ले आती है ,
शायद इसी वजह से तेरे इंतज़ार में भी ……मुझे अपनी ख़ुशी नज़र आती है ।
कुछ दिनों के लिए ही सही ……..पर तुम बिन सब खाली-खाली सा लगता है ,
तुम्हारे साथ बिताया हर लम्हा भी …….तब एक सपना सा लगता है ।
तुम हो मेरे जीवन के वो महकते “फूल”……… जिसकी महक को मैं हर पल महसूस करूँ ,
जी चाहता है अब तो मेरा …….कि तुम्हे अपनी नज़रों से …..एक पल के लिए भी ना दूर करूँ ॥
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