This Hindi poem highlights the social issue of man’s ego when He tried to demoralize Her partner at each and every step of her success ,though Her spouse is a deserving one. As She knows that every time Her traits are crushed ,so She left each and every success of Her for His Beloved.
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Hindi Poem – Kaabliyat
Photo credit: xenia from morguefile.com
गम इस बात का नहीं ………. कि हममें क़ाबलियत नहीं ,
गम इस बात का है कि उनको ……… हमारी क़ाबलियत पसंद नहीं ।
जब भी कोई अनजाने में ……… इस क़ाबलियत पर मुहर लगाता है ,
उनके अंतर्मन में जैसे कोई …………. शोला तूफ़ान मचाता है ।
धीरे-धीरे उस शोले की गर्मी ………. ज्वालामुखी बन फट जाती है ,
हमारी क़ाबलियत को कहीं ……… रेत में धूमिल सा कर जाती है ।
गम इस बात का नहीं ………. कि हममें क़ाबलियत नहीं ,
गम इस बात का है कि उनको ……… हमारी क़ाबलियत पसंद नहीं ।
हर बार हम अपने क़ाबिल होने पर ………. मन में नए सपने सजाते हैं ,
हर बार वो आकर उन सपनो को ………. पल में रौंद कर चले जाते हैं ।
एक खिलती हुई आशा को जब हम …………. अपने अंदर बुझता सा पाते हैं ,
तब उनकी क़ाबलियत को ही ………. अपनी नियति मान मुस्काते हैं ।
गम इस बात का नहीं ………. कि हममें क़ाबलियत नहीं ,
गम इस बात का है कि उनको ……… हमारी क़ाबलियत पसंद नहीं ।
वो क़ाबिल हों हमेशा ……… ऐसा ही ख्याल कभी …… हमारे मन में भी आया था ,
पर उस क़ाबलियत में हमने कभी ………. खुद के गिरने का ……… सपना नहीं सजाया था ।
क़ाबलियत से ही अगर आँकी जाती है ……… किसी के मन की सूरत ,
तब तो हर क़ाबिल इंसान देखो कहलाएगा ………किसी जन्नत की मूरत ।
गम इस बात का नहीं ………. कि हममें क़ाबलियत नहीं ,
गम इस बात का है कि उनको ……… हमारी क़ाबलियत पसंद नहीं ।
हममें क़ाबलियत की कोई परछाई गर ……… अब रह गई है बाकी ,
तो उनके लिए उस परछाई की ……… कीमत भी है हमने आँकी ।
बस नाकामयाबी की और बददुआओं से …………. ना हमको अब नवाजो ,
जाओ छोड़ते हैं हम हर कामयाबी को तुम्हारे लिए ………. अब ना दूर हमसे भागो ।
गम इस बात का नहीं ………. कि हममें क़ाबलियत नहीं ,
गम इस बात का है कि उनको ……… हमारी क़ाबलियत पसंद नहीं ॥