” खुद को समेत के बैठ जाते है हम
शायद इससे बेहतर और कोई पनाह भी तो नहीं। “
” सौ ऐब के बाद भी मैंने उसमें वफ़ा देखी
बस यही ऐब ही मेरा बेवफ़ा निकला।
” चार लोग इस कदर ख़िलाफ़ बोल रहे थे मेरे। ..
कि मुझे मेरे होने का एहसास करा गए। “
” जो लोग समझते है , उन्हें पता है……
कि वक़्त रुकता भी है ,
बस वही कुछ पल
ज़िन्दगी के खास होते है। “
” इतनी भीड़ में कोई अपना नहीं मिलता
दिलफेंक तो बहुत मिलते है
पर दिलदार नहीं मिलता
पता नहीं अजीब मेला लगा हुआ है
सब मामूली ही मिलते है
मगर कोई खास नहीं मिलता। “
” सुकून का पता मिले तोह मुझे भी बताना
बहुत दिनों से बेचैन घूम रहे है हम। “
” लोग हाल पूछ लेते है आते जाते यू ही
वर्ना दिल की ख़राश को किसने जाना है। “
” दिल्ली की सर्द रातेँ , सिर्फ कुछ कतरन पहने गुज़ार दी मैंने
मेरी ग़रीबी का , ख़ूब इम्तिहान हुआ। “
” उसका मुझपे गुस्सा करना जायज़ ही था…..
दर्द देने के बाद , मैं उसका हाल पूछ बैठा। “
” सबूत मांगते है सब मुझसे मेरी काबिलियत का
शायद ये अँधेरा मेरे जलने से ही दूर हो। “
” सिर्फ एक ही सच है इस दुनिया में – केवल तुम
बाकी सब वो बादल है जो चाँद को छिपा देते है। “
” जिन्होंने प्यार किया है वो जानते है
अंत में यकीन नहीं होता अपनी हर बेवकूफी का। “
” कोई अगर आपको अपनी ज़िन्दगी से निकाल दे
तो उसका एहसान खुद का साथ निभा के देना। “
” ये ना तो इत्तेफ़ाक़ था , न फ़साना
तुमसे मिल के बिछड़ना नसीब का खेल था। “
” यूँ तो मैं आगाज़ का अंजाम जानता था। …..
पर वक़्त की आजमाइश भी तो ज़रूरी है। “
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