” राह देखते रह गए सितारे चाँद की
और वो नादान बादलो के साथ खेलता रहा। “
” पलक झपकते ही गायब हो गए वो लम्हे
जिन्हे पाने की हसरत से पथरा गयी थी आखें। “
” मैं तो बस ये ही जानता था कि सच ही सब कुछ है
पर तुम्हारे वादों के बिखरते सिलसिलों ने ये वेहम भी मिटा दिया। “
” मौत की कल्पना कोई नहीं करता
सब मशरूफ है मर मर के जीने में। “
” मेरी मोहब्बत का कोई पैमाना नहीं
तुम्हारी साँसों के सहारे ही चल रही है। “
” खर्च हो गई ना जाने कितनी रातें , उस सुबह के इंतज़ार में
कि काश कोई दिन आये , जिसे रात का इंतज़ार हो। “
” लेकिन वेकिन , अगर मगर की दुनिया है
फिर न जाने क्यों मैं उसूल , विधान और भरोसे की बात करता हु ? “
” हाँ ये सच है कि मुझे तुम्हारी ज़रुरत है
बस मैंने ये बात तुमसे पहले मान ली। “
” मेरी मंज़िल तुम तक ही थी
मुस्कुरा दो तो बस थकान मिटे। “
” आग को पानी की दरकार नहीं
सच को किसी कहानी की दरकार नहीं
होगा नसीब में तो मिल जाओगी तुम किसी मोड़ पे
अब मुझे सर झुकाने की दरकार नहीं। “
” आज मिली अचानक पुरानी माशूक चौराहे पे
सोचा न था कि ऐसे आमना सामना होगा। “
” कश्ती मज़धार में फस अगर जाती है
मांझी की हिम्मत दुगनी परखी जाती है
सिर्फ़ लहर के भरोसे वो रह नहीं सकता
हवा के रुख पे ही बह नहीं सकता
काबू रखने पड़ते है ना जाने कितने जज़्बात
तब जाके लगती है कश्ती किनारे पार। “
” हौसला रखने को तो सब बोलते है
हमदर्द बनके दर्द मेरा टटोलते है
आख़िर निभानी है उन्हें भी दुनियादारी
हस हस के सुनाते है मेरे दर्द की बात सारी। “
” इन आसुओ का दर्द कौन समझेगा
जो दे गया उसको परवाह नहीं
जो देख रहा है उसको कुछ पता नहीं। “
” यूँ ही तित्तर बित्तर नहीं हुई ज़िन्दगी मेरी
कुछ कसूर नसीब का था , बाकी बदलते वक़्त का। “
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