क्या करोगे
जब दोस्त ही ना होंगे तो क्या करोगे फ़ेसबुक अकाउंट का,
जब ख़र्च करने वाला ही ना होगा तो क्या करोगे मच मोर अमाउंट का,
जब कोई खेलने वाला ही ना होगा तो क्या करोगे ग्राउण्ड का,
जब कोई नाचने वाला ही ना होगा तो क्या करोगे साउंड का,
क्या करोगे………..।
जब इंसानियत ही नहीं रही तो क्या करोगे समाज का,
जब राजा ही ना होगा तो क्या करोगे तख़्तों-ताज का ,
जब सूर ही ना होंगे तो क्या करोगे अल्फाज का,
जब कल का ही पता नहीं तो क्या करोगे आज का,
जब कोई अंजाम ही नहीं तो क्या करोगे आगाज का ,
जब कोई डर है ही नही तो क्या करोगे राज का -२,
क्या करोगे ………..।
सब का सब यहीं रह जाएगा तो क्या करोगे इस लगाव(मोह) का ,
जब अकड़कर कुछ नहीं मिलता तो उपयोग करो झुकाव का,
जब खुलकर जीना है तो विरोध करो दबाव का,
बहते जाओ ज़िंदगी में जैसे तुम हिस्सा हो नदियों के बहाव का ,
प्रेम के दो शब्द तो बोलो फिर देखो परिणाम तुम्हारे प्रभाव का ,
किसी से प्रेम इतना भी मत करो की एहसास हो उसके अभाव का ,
जब तुम सीधा ही ना चल पाते हो तो सामना क्या करोगे घुमाव का ,
दो वक़्त की रोटी के लिए तुम ईमान बेच देते हो तो क्या करो इस देश भक्ति के भाव का,
बिना मरहम के तुम इलाज क्या करोगे घाव का-२,
क्या करोगे ……………।
ना है जवाब किसी के पास मेरी इस बकवास का ,
जब वजूद ही ना होगा तो क्या करोगे इतिहास का ,
जब पानी ही ना होगा तो क्या करोगे प्यास का,
जब प्यार ही ना होगा तो क्या करोगे एहसास का,
जब ना रहेंगे चाँद तारे तो क्या करोगे आकाश का,
अभ भी ना सुधरोगे तो वक़्त आ जाएगा सर्वनाश का,
और ये कहते-कहते मैं मर भी गया तो क्या करोगे मेरी लाश का -२ ,
क्या करोगे ………..।
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