This Hindi poem highlights the mental state of writers in which many of them thought that to write is a kind of disease. In this poem the poetess tried to make them aware about the pros of writing and stated them that “writing” is a “Great Style” of writers.
लिखना एक बीमारी नहीं ,
लिखना तो एक अंदाज़ है ,
अपने मन में उठते अन्तर्द्वन्दों को ,
पेश करने का एक नया साज़ है ।
अक्सर लेखक अपने लिखने को एक बीमारी मान ,
नई मानसिकता से जीने लगते हैं ,
जहाँ सार्वजनिक रूप में एक सहानुभूति पा ,
वो अपनी ख्याति को बढ़ावा देते हैं ।
आप लिखते नहीं गर कुछ भी ,
तो ये कोई पाप नहीं ,
भला उन सबसे तो अच्छे हो ,
जिन्हें कटु शब्दों को कहने से मिलता कभी , कोई लाभ नहीं ।
गर हर कोई अपने भावों को ,
लिख-लिख कर पेश करने लगे ,
तो निंदा-रस का स्वाद ज़ुबाँ से ,
खुद~ ब ~ खुद ही कहीं छँटने लगे ।
लिखना हमारी सोच को ,
और अधिक परिपक्व बनाता है ,
क्योंकि लिखने से ही हमारे लेखों में ,
ज़िंदगी का एक नया मोड़ सामने आता है ।
लिखना राजनीति पर ,
गर हमें एक लेखक बनाता है ,
तो लिखना अपनी संस्कृति पर ,
हमें और सभ्य बनाता है ।
गीतों को लिखना पर ,
एक उमंग सी दिल में गर छाती है ,
तो कहानियाँ लिखने के बहाने से ,
हमें अपनी नानी माँ की याद आती है ।
शेरों और ग़ज़लों के बहाने से ,
गर शायर हम कहलाते हैं ,
तो अपनी आप बीती बयाँ करने पर ,
एक Autobiographer बन इठलाते हैं ।
संवाद-लेखन को लिखने से ,
हमारे व्यक्तित्व में एक बदलाव आता है ,
क्योंकि वो “ख्याली” पात्र उस संवाद का ,
एक व्यक्ति बन तब हमारे अंदर समाता है ।
आलोचनाओं और टिप्प्णीओं से हम ,
एक अच्छे वक्ता कहलाते हैं ,
तो वहीँ लेखों और रचनाओं से हम ,
संवेदनशील बनते जाते हैं ।
लिखना एक कलाकारी है ,
लिखना एक व्यापार है ,
लिखना गर मुफलिसी है ,
तो हर लेख में छुपा , कहीं एक प्यार है ।
इसलिए लिखने को एक बीमारी कहना ,
एक लेखक की तौहीन है ,
लिखना गर हकीकत है ,
तो लिखने से ही सब सपने रंगीन हैं ।
इसलिए मेरे लेखक मित्रों ,
मेरी बात पर ज़रा थोड़ा गौर फ़रमाना ,
कि अपने लिखने को एक बीमारी मान कर ,
अपने अस्तित्व को मत यहाँ मिटाना ।
याद रखो हमेशा कि एक अच्छे लेखक की ,
यही तो एक पहचान है ,
कि जब तक वो इसे एक रोग ना माने ,
तब तक “लिखना” ही तो उसकी ,एक सबसे बड़ी शान है ॥
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