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Hindi Poem – Log kahte Hain Teri Kalam Kyun
Photo credit: cohdra from morguefile.com
है देश अपना तरक्की की गोद में सो रहा
है सरकार अपनी तारीफों के पुल पे अकेले बढ़ रहा
है आवाज़ सब की यही
की युवा तू आख़िर क्यूँ शांत है
तेरे कदमो पे बढ़े थे हर किसी के कदम कभी
आज तेरे रुकने से थम गया ये पूरा जग यहाँ
लोग कहते है तेरी कलम क्यूँ थमती ना
मैं कहती मेरी देश में युवा की आवाज़ क्यूँ आगे बढ़ती ना
है सम्मान मर्यादा तुझे इतनी प्यारी की खुद को तू भूल भी गया
पर इनको संभलता चला
आवाज़ तेरी थम चुकी है
सर तेरा झुक चुका है
है विश्वास हमको की कल फिर तू आएगा
मोमबत्ती जला के अपने आँसू फिर दिखा तू जाएगा
लोग समझेंगे की तू अभी जागा हुआ है
लोग मानेगे की तू कहीं ज़िंदा खड़ा है
आवाज़ तेरी ऐसी ही है
ग़लत को तो रोक ना पाए
पर ग़लती पे रोने चलती आए
आज तू मशगूल है संसार के झमेलों में
कल तू मशरूफ होगा फिर क़िस्सी के जनाज़े में
लोग कहते है तेरी कलम क्यूँ थमती ना
मैं कहती मेरी देश में युवा की आवाज़ क्यूँ आगे बढ़ती ना
मेरे आँसू में तूने भी आँसू भी बहाए है
मेरे टूटने पे तूने भी लड़ने की कसमे खायी है
है अफ़सोस सिर्फ़ इतना मुझे की तू आगे ना आ सका
तेरी बहन के आँसू से बड़ा ये संसार तुझको लगता रहा
रक्षा बंधन मे फिर तू मुझसे राखी बँधवाएगा
मेरी रक्षा करने एक बार फिर प्रण उठाएगा
सर कटने पे भी मेरी इज़्ज़त को बचाएगा
ऐसा वादा क्या तू एक बार मुझसे कर पाएगा
है भाई तुझको खुद से ज़्यादा मान दिया
कभी माँ बनके
कभी बहन बनके
कभी पत्नी बनके
कभी बेटी बनके
अपना सब कुछ मैने तुझ पे वार दिया
आज तू भी अपनी आवाज़ उठा मेरे लिए लड़ के दिखा
लोग कहते है तेरी कलम क्यूँ थमती ना
मैं कहती मेरी देश में युवा की आवाज़ क्यूँ आगे बढ़ती ना
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