Ma Vaishno Devi Darshan –
I have described here, my recent visit to Vaishno devi in poetic form. The sense of ‘Bhakti’ and ‘Aastha’ which I have observed in the devotees of ‘Ma’ is superb and overwhelming. A lot of lessons I have learnt during my journey for the ‘Darshan’. The discipline which is maintained by the devotees throughout the stretch of the long and difficult journey is praiseworthy. The energy with which the devotees climb up the route is astonishing, whether one is going on foot or on horseback. Nobody knows anybody but they have a mutual bonding of love and helpfulness to each other as the goal of everyone is same. No doubt the arrangements of drinking water etc on the way are very good. In short I can say that the whole journey was an experience worth sharing with all so I have tried to make it interesting by putting it in poetic form. Jai Mata Di.
माँ वैष्णो देवी:
जय माता दी
चल पड़े जम्मू से कटरा , कटरा से माँ के दर पर ,
भक्ति मे शक्ति है , पहुंचा देगी पहाड़ी के शिखर पर ,
माँ के दर्शन के लिए चले एक के पीछे एक श्रद्धालु ,
माँ मे अपार शक्ति है और माँ है बड़ी दयालु ,
बड़ी लंबी और कठिन है माँ के दरबार की डगर ,
मन मे है अटूट आस्था , तो आराम से कट जाएगा सफर ,
जय माता दी के नारों से गूंज रहा है सारा रास्ता ,
कौन कहाँ से आया है , कोई एक दूजे को नहीं पहचानता ,
सब के अंदर जोश है और है बड़ी उमंग ,
रास्ते मे कोई नहीं कर रहा है किसी को भी तंग ,
अनुशासन मे कैसे चलते है , कोई वहाँ जाकर सीखे ,
माँ के दर्शन सब को मिलेंगे , चाहे कोई आगे हो या पीछे।
ज़ोर से बोलो जय माता दी ,
सारे बोलो जय माता दी ।
कुछ भक्त जन पैदल ही कर रहे है रास्ता पार ,
कुछ आगे बढ़ रहे है होकर घोड़े पर सवार,
घोड़े की सवारी भी नहीं है कोई आसान ,
जांघे छिल जाती हैं , पड़ जाते है निशान ,
करीब आधा रास्ता चले होंगे, तो आया अर्ध कुँवारी ,
घोड़े वाले से कहा अभी थोड़ा सुस्ता ले बहुत हो गयी घोड़े की सवारी ,
Public चलती जा रही है लगते हुए माँ का जय कारा,
कोई थका हो या जोश मे हो सबका था यही नारा ,
चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है ,
यह गीत गा गा कर सबने एक दूसरे का मन बहलाया है ,
हमे भी आ गया जोश , चढ़ गए हम भी फिर से घोड़े पर ,
ठान ली इस बार तो , कितना भी थक जाए उतरेंगे केवल मंज़िल पर ,
ज़ोर से बोलो जय माता दी ,
सारे बोलो जय माता दी ।
इसके बाद आई सांझी छत ,
घोड़े वाले ने पूछा क्या rest करोगे , माता के भक्त ,
हमने कहा , नहीं बिलकुल नहीं , अब हमारे पास नहीं है वक्त ,
अब तो जल्द माता के दर्शन करने है , हम भी है उसके अनन्य भक्त ,
इतने में ही शुरू हो रिम झिम बारिश ,
हमने कहा चलते रहो , अब तो जल्द पूरी होगी खवाहिश ।
ज़ोर से बोलो जय माता दी ,
सारे बोलो जय माता दी ।
आखिर मंज़िल आ ही गयी करीब ,
कोतूहल के मारे लग रहा था बड़ा अजीब ,
घोड़े से कूद गए हम बड़े बेतरतीब ,
लग रहा था खुल गया आज हमारा नसीब ,
जल्दी से जूते उतार कर रखे , हाथ मे उठाया प्रसाद ,
पहले मंदिर चलो बाकी सब दर्शन करने के बाद ।
माँ के दर्शन पा कर हो गए हम रोमांचित ,
रोम रोम हो गया खुशी से पुलकित ,
माँ के दर्शन का मौका भक्तों कभी न छोड़ना ,
जब भी अवसर मिले अपना रुख उसी ओर मोड़ना ।
जय माता दी का लगाओ जय कारा ,
माँ बिन ओर कौन है हमारा ।
ज़ोर से बोलो जय माता दी ,
सारे बोलो जय माता दी ।
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