माँ-माँ-माँ!
बस यही एक नाम गूंजता है इस अंधरे में,
कैसे बताऊँ माँ कितना सुकून है तेरे कलेजे में?
तू ही है माँ जिसने ऊँगली पकड़ मुझे चलना सिखाया,
बाँहों के झूले में तूने झुलाया!
तूने ही समझाया क्या अच्छा क्या बुरा है इस जहाँ में,
में समझती हूँ कुछ तो फिर भी छुपा है तेरे कलेजे में!
पता नहीं मुझे, ये मेंरे पाने का दर्द है या खोने का गम है माँ,
लेकिन जो भी है ये बड़ा ही खूबसूरत तेरा मेंरा संगम है माँ!
मैंने भगवन को नहीं देखा माँ लेकिन तू ही मेंरा भगवान् है,
जिसने मुझे इस दुनिया में लाया तू उस भगवान् की पहचान है!
मेंरे हर दर्द, हर आंसू को तूने अपनी आँखों में बसाया है,
इस दुनिया के हर रिश्ते को भी तूने बहोत खूब निभाया है!
तू है तो में हूँ और तू है तो ये संसार भी है माँ,
तेरा बिना सब कुछ अधूरा है और इस दुनिया में तेरे बिन कुछ भी नहीं है माँ!
शुक्रिया तेरा इस जहाँ में मुझे लाने के लिए और मुझे मेंरी पहचान दिलाने के लिए,
मैं तेरी बेटी होने का हमेंशा फ़र्ज़ निभाऊंगी माँ और बेटे की तरह तुझे हंसाऊंगी माँ!
ज़िन्दगी बहोत हंसाएगी भी और रुलायेगी भी,
लेकिन मेंरे पास वो माँ है जो अपना हर बचन निभाएगी भी!
हर माँ से बस यही गुजारिश है हर बेटी की, आना है माँ मुझे इस दुनिया में,
बचा ले न माँ मुझे मर जाने से, आ जाने दे न इस ज़माने में!
मुझे सोना है माँ तेरे आंचल के झूले में,
कैसे बताऊँ माँ कितना सुकून है तेरे कलेजे में?
मैं लड़की हूँ तो इसमें मेंरा क्या गुनाह है माँ,
तू तो जानती है न में तेरा ही साया हूँ माँ!
माँ क्यों तू इतनी प्यारी है मुझे बता दे न,
क्यों मेंरी उम्मीद के धागे तुझसे बंधे हैं माँ!
कैसे बताऊँ माँ कितना सुकून है तेरे कलेजे में?
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