आया था पहली बार
वो जब इस जहान मेँ,
पाला था माँ ने उसको
बड़ा प्यार लाड़ के ।
करती थी पूजा-पाठ
जाने कितने व्रत किये,
माथा था टेका
मंदिरोँ मेँ दान थे दिये …
लग जाये न किसी की
नज़र उसके लाल को ,
हरदम बचा के रखती
थी दुनिया की नज़र से …
उसपे भी गर जो
छीँक आ गयी तो हे प्रभू ,
कर डालती थी टोने-
टटके जग-जहान के …
पाला था माँ ने उसको
बड़ा प्यार लाड़ के ।
आया था पहली बार
वो जब इस जहान मेँ,
पाला था माँ ने उसको
बड़ा प्यार लाड़ के ॥
अपने नन्हेँ हाथोँ से
माँ को था जब छुआ ,
और तोतली जुबान से
बोला था उसको माँ …
ताली बजा के पहली
बार जब खड़ा हुआ ,
ली थीँ बलइयां प्यार
से माथे को चूमा था…
बीमार भी हो जाने पे
खुद की कुछ फिकर नहीँ ,
थी उठाती सारे नखरे
नन्हेँ मेहमान के …
पाला था माँ ने उसको
बड़ा प्यार लाड़ के ।
आया था पहली बार
वो जब इस जहान मेँ ,
पाला था माँ ने उसको
बड़ा प्यार लाड़ के ॥
जाना था पहली बार
उसको ले के मायके ,
पूछ के वो घर मेँ
चल दी साथ भाई के …
वो खुश था ट्रेन देखता
मामा की गोद मेँ,
पर मचल रहा था
उतरने को पैर पे …
फिर उतर के ज्योँ गुब्बारा
वो चला है लेने को ,
ठोकर लगी वो गिर गया
पटरी पे ट्रेन के …
पाला था माँ ने उसको
बड़ा प्यार लाड़ के ।
आया था पहली बार
वो जब इस जहान मेँ ,
पाला था माँ ने उसको
बड़ा प्यार लाड़ के ॥
था गिरा पड़ा वो
टुकड़ा माँ के जिगर का ,
कुछ समझ न पायी
कैसे हो गया था क्या ?..
स्फूर्ति आ गयी थी
क्षण मेँ बिजली के जैसी ,
वो दौड़ी थी उसको
उठाने ट्रेन चल पड़ी …
उसको उठा के दूर
किया पर वो कट गयी ,
आने दिया खरोँच न
नन्हीँ सी जान के …
पाला था माँ ने उसको
बड़ा लाड़ प्यार के ।
आया था पहली बार
वो जब इस जहान मेँ ,
पाला था माँ ने उसको
बड़ा लाड़ प्यार के ॥
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