A hardcore reality of today’s messed up world in words of a young and angry young adult. This Hindi poem describes what goes on in mind of a frustrated guy.
अद्भुत सा अंतर्द्वंद्व है ये ,
विचित्र सा युद्ध ,
जिसमे हार भी मेरी जीत भी मेरी ,
जीवन भी मेरा , मृत्यु भी मेरी ,
इस लीला से परे झांकना भारी पड़ा ,
प्रतिबिम्ब दिखा वास्तविक तो कहना पड़ा ,
गजब है ये मायावी संसार भी ,
कभी दर्द है ख़ुशी में , और मुस्कान है दर्द में भी,
प्रचंड गर्मी में भी , भीष्म सर्द में भी |
कभी ना रुकना , कभी ना कहना ,
जिन्दगी की लहर में बस एक दिशा में बहना,
बिना रोए हर दर्द सहना ,
गम के मौसम में मुस्कान का पर्दा पहनना |
कष्ट सभी को होता है यहाँ ,
आखिर सब इंसान ही है ,
कुछ क्रूर कुछ श्रेष्ठ भी है,
कुछ पास कुछ दूर भी है|
पर दिल के पास जो होता है ,
वही जो सवेरे के साथ सोता है ,
ह्रदय की धड़कन में जो खोता है ,
वही होता है जो आत्मा की असीम भूख है |
सूरज भी तो समय के साथ सोता है ,
कभी सूर्य को रोते देखा है ?
प्यार में खोते देखा है ?
खून बहाते देखा है ?
इस निर्दयी माया का अंत नहीं ,
जो इसे समझता , है संत वही,
मेरे प्रयत्न हुए सब व्यर्थ ,
अनदेखा जो करे इसे वही है समर्थ |
जीवन तुच्छ,
ऊंचे विचार ,
छोटी आँखे,
बड़े सपने,
सब धरे रह जाते है,
जब दुनिया असलियत पे आती है..
ये दुनिया किसी की नहीं थी,
न किसी की हुई है,
दुनिया मतलब पे जीती है,
पर ये मतलब की दुनिया भी एक उम्मीद पर कायम है,
एक उम्मीद की शायद लोग मतलब पे जीना छोड़ दे…
हम जीते है,
फिर मरते है,
दुनिया बस इतनी है हमारे लिए,
खुद की फ़िक्र की है कभी?.
हमेशा सोचते रहे,
दुनिया ये कहेगी,
दुनिया वो कहेगी,
जन्म किसके लिए लिया है,
अपने लिए या दुनिया के लिए?,
क्या दुनिया के लिए पैदा हुए हो?
मरोगे भी इस दुनिया के लिए ही?,
जिसने तुम्हे कभी समझा ही नहीं,
अगर तुम ऐसा नहीं सोचते,
तो तुम्हे जीने का हक़ नहीं है दोस्त..
दुनिया का तो काम है रोकना,
लातो से नहीं तो बातो से,
पर इंसान वही है जिसमे हिम्मत है,
दुनिया से टकराने की,
ताकि वो कर सके,
जिसके लिए पैदा हुए है,
ना की वो जो दुनिया करवाना चाहती है,
अक्सर हम शिकायत करते है,
की दुनिया जीने नहीं देती,
जीकर क्या करोगे दोस्त,
मरने के बाद दुनिया पूछेगी भी नहीं,
अगर जीना है तो दुनिया की बाते सुननी पड़ेगी,
हां अगर मर मर के जी सको,
फिर दुनिया कुछ नहीं बोलेगी,
क्युकी मुर्दों से जो बतलाता है,
उसे पागल कहते है,
और दुनिया में पागल नहीं होते,
सब समझदार होते है,
पागल तो वो होते है,
जो दुनिया के मूह पे थूकते है,
और एक राज की बात बताऊ?..
दुनिया उनसे डरती है,
मै पागल ही ठीक हू,
और तुम?
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