बेटी तेरी महिमा का
क्या मै गुण-गान करु
तू तो खुद सम्मान है
मै तेरा क्या सम्मान करु
बेटी बनके आई जब
सबके मनको भाई तब
अपने हँसी खुशी से
सारा घर महकाई तब
बेटी के बाप होने का
गर्व क्या बयान करु
तू तो खुद सम्मान है
मै तेरा क्या सम्मान करु
तेरे ज्ञान के चर्चे
अब होने लगे सुबह शाम
आगे पढने के लिये
भेजा तुझको दुर ग्राम
कलेजे के टुकरे को
सिने से जुदा किया
तुझको आगे पढने के लिए
घर से बिदा किया
लोग मुझसे कहते
ये जरुरी बलिदान करु
तू तो खुद सम्मान है
मै तेरा क्या सम्मान करु
आया था नाम जब
तेरा अखबार मे
अव्वल हुइ थी तू
खुशी छाई घरबार मे
अपने बेटो से ज्यादा
मै तुझपे अभिमान करु
तू तो खुद सम्मान है
मै तेरा क्या सम्मान करु
आसमां के बादल कुछ ऐसे बदल गए
खुशीयो के सुरज अनायास ही ढल गये
कैसे धरा ने सह लिया
ऐसे अपमान को
जब भेरियो ने खा लिया
मेरे फुल जैसी जान को
पुछता पवन से मै
कैसे सब तू सह गया
रुकी है मेरी जिन्दगी
ओर तू बह गया
एक अधीर बाप के
अभिमान को कुचल गये
आज राक्षस आके
मेरे देवता को छल गये
करुण ह्रिदय से मै यही शोक गान करु
तू तो खुद सम्मान है
मै तेरा क्या सम्मान करु
डोली भी है, आँसू भी है
पर नही सहनाई है
बेटी की बिदाई की ये
कैसी घरी आई है
दुनिया मुझसे पुछती
कहर ये कैसे टुटा है
बात इसमे सच्ची है
या घटना कोई झूठा है
टुटे हुए लब्जो से
क्या क्या मै बखान करु
तू तो खुद सम्मान है
मै तेरा क्या सम्मान करु
तू तो खुद सम्मान है
मै तेरा क्या सम्मान करु
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नविन कुमार जोगिया
मेरी कोई बेटी नही है लेकिन अपने आपको एक बाप के जगह रखके उनके दर्द को महसूस किया हुँ