मुझे वादों में ना बाँधो सनम ………. तुम्हे है मेरी कसम ,
मुझे वादों से लगता भरम …… तुम्हे सच कहें ,सुनो ना तुम ।
मैं खुद~ ब ~ खुद चली आऊँगी ……… जब तड़प रहे होगे , तुम मेरी यादों में ,
मैं अपना दिल भी चीर लाऊँगी ……… जब तुम्हारे दिल में लगेगी , आग ये ।
मुझे वादों में ना बाँधो सनम ………. तुम्हे है मेरी कसम ………
ये वादे बहुत दर्द देते हैं ……… इनको तोड़ने पर एक पाप लगे ,
ये कभी तो ज़ख्म देते हैं ……… और कभी ये एक अभिशाप लगे ।
मुझे वादों में ना बाँधो सनम ………. तुम्हे है मेरी कसम ………
अपने रिश्ते में जगह नहीं ……… किसी वादे और कसमों की ,
ये है एक खुला-खुला सा सफर ……… जिसकी डोर है बिन रस्मों की ।
मुझे वादों में ना बाँधो सनम ………. तुम्हे है मेरी कसम ………
तुम वादे जो लोगे आज मुझसे अभी ……… मैं टूट कर बिखर जाऊँगी ,
उसे अपने दिल पे एक बोझ मान ……… अपनी हस्ती को ही मिटा जाऊँगी ।
मुझे वादों में ना बाँधो सनम ………. तुम्हे है मेरी कसम ………
हम-तुम जिएँगे सौ सालों तक ……… मगर बिना ही वादों के ,
ना कोई शरम तब होगी यहाँ ……… ना कोई भेद दीवारों के ।
मुझे वादों में ना बाँधो सनम ………. तुम्हे है मेरी कसम ………
ये वादे बड़े ही बैरी होते हैं ……… अक्सर इंसान के सनम ,
जब टूटते हैं कभी भूल से भी ……… तो तकलीफ देते हैं , ये हमदम ।
मुझे वादों में ना बाँधो सनम ………. तुम्हे है मेरी कसम ………
मैं हर बार तुम्हारे कहने पर ……… इन वादों को निभाने की होड़ में जीऊँ ,
मगर फिर इन वादों को समझने को ……… और भी मुश्किल में पडूँ ।
मुझे वादों में ना बाँधो सनम ………. तुम्हे है मेरी कसम ………
ये वादे सताते हैं मुझे ……… ये देते हैं एक अंजाना सा डर ,
बिना इनमे बँधे हुए मैं ……… पी जाती हूँ कड़वा सा ज़हर ।
मुझे वादों में ना बाँधो सनम ………. तुम्हे है मेरी कसम ………
मुझे नफरत है इन वादों से ……… जो एक कमज़ोर दिल की ढाल बने ,
मैं बिंदास रहूँगी संग तेरे ……… गर अपने रिश्ते पर ना कोई मोहर लगे ।
मुझे वादों में ना बाँधो सनम ………. तुम्हे है मेरी कसम ………
ये वादे निभाना मैंने सीखा नहीं ……… तुम मत दो मुझे इनकी कसम ,
क्योंकि वादे तो वादे ही रह जाएँगे ……… चाहे कर लो तुम इनसे लाख जतन ।
मुझे वादों में ना बाँधो सनम ………. तुम्हे है मेरी कसम ………
मुझे वादों में ना बाँधो सनम ………. तुम्हे है मेरी कसम ,
मुझे वादों से लगता भरम …… तुम्हे सच कहें ,सुनो ना तुम ।।
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