Mumbai Monsoon
When Metro is Drenched by rains!!!
आज फिर मौसम ने अपना मिज़ाज बदला है,
नए रंग बिखेरकर नयी तस्वीर बनाई है;
नए किस्से लिखने के लिए,एक पुरानी कहानी मिटाई है|
काले सफ़ेद बादलों के तुकडे, नीले आसमान पर फैलें हैं,
और उनसे निकल रही है सूरज की सिन्दूरी रोशनी;
धरती पर फैली हरियाली राहों पर उमंग जगा रही है|
दूर दिखते धुंदले पहाड़, और ऊंची इमारतों के किनारे,
एक दूसरे में समां रहे हैं;
वहीं निकल कर दरिया की लहरें,इस ओर बढ़ी चली आ रही है|
एक ऊंचीं ईमारत ने अभी,अपनी गर्दन झुकाकर,
तेज बौछारों से बचने की कोशिश की है;
पिचकारी बन कर गाड़ियों के पहिए,पानी की फुहारें बरसा रहें हैं|
भीगी धुंधली राहों पर,तेज तेज आगे बढ़ते हुए,
गर पीछे मुड़कर देखो,तो दूर दिखती गाड़ियों की रोशनी;
टिमटिमा के,जैसे गुस्सा दिखा रही हैं|
अगले ही एक मोड़ पर अचानक,
गाड़ियों की रफ़्तार थम गयी है;
तेज चलती हवाएँ,इस ठहराव को भी सुहाना बन रही है|
सारे पंछी घरौंदों से बहार निकल आये हैं,
इंसानों की फसाँ देखकर,हंसे जा रहें हैं;
कह रहे हैं देखो,हमारे पास पंख हैं,
मौज में उड़ उड़ कर हमें चिढ़ा रहे हैं|
इस झरोखे से झाको तो लगता है नाव की सवारी है,
मटमैला सा तालाब, है टूटी सी पतवार है;
किनारे लगने की लगातार कोशिशें जारी है|
स्याही रंग के आसमान पर,अभी अभी बिजली चमकी है;
मुस्कुराहटें कैद करने को जैसे, उसने तस्वीर खींची है|
गिरते संभलते हाथों में हाथ डाले, धीरे धीरे आगे बढ़ रही है दुनिया,
एक छतरी की निचे वो दोनों, एक दूसरे की भीगने से बचा रहे हैं|
कुछ आसूं छुप रहे हैं, कुछ भी गम धुल रहे हैं,
कुछ मुस्काने लौट आई है;
ये बारिश सारी खुशियां लौटने की उम्मीद लेकर आई है|
इस पुल के उस पार मंजिल से थोड़ा पहले,
तुम खड़े हो मेरे इंतज़ार में,
वहां पहोचने की अजीब सी बेकरारी, मेरे दिल में भी छाई है|
कसम है तुझे ऐ मौसम,ना बदलना तब तक,
जब तक मेरा किस्सा खत्म नहीं होता;
सारे मोड़ गुजर नहीं जाते,हर पड़ाव पूरा नहीं होता|
लेकिन जानती हूँ मैं,
की ये एक सिलसिला है,
कल फिर मौसम बदलेगा, नए रंग चुनेगा,
ये कहानी खत्म होगी, नए किस्से लिखेगा;
मैं फिर शब्दों को बांधूंगी,
जीवन को पन्नों पर उतरूंगी,
फिर एक बार शुरू करुँगी;
कहूँगी,
“आज फिर मौसम ने अपना मिज़ाज बदला है,
नए रंग बिखेरकर नयी तस्वीर बनाई है;
नए किस्से लिखने के लिए,एक पुरानी कहानी मिटाई है ।”
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