Hindi Poem on Life – ज़िन्दगी क्यों हमे मिली है

Hindi Poem – Life
Photo credit: yli from morguefile.com
ज़िन्दगी क्यों हमे मिली है ,
जीने के लिए या मरने क लिए मिली है।
क्यों इसे हम समज नहीं पाते ,
क्यों खुद की मर्जी से जी नहीं पाते ,
बहुत ऐसे सवाल है,
जिनके जवाब अभी बाकी है ,
और नए सवाल इसमें जुड़ते जाते है,
ज़िन्दगी क्यों हमे मिली है ,
जीने के लिए या मरने क लिए मिली है।
ज़िंदा रहे भी तो किसलिए ,
यहाँ तो जीने की भी वजह नहीं मिलती ,
मरना चाहे भी तो किसलिए,
मरने की भी तो वजह नहीं मिलती,
बस इसी तरह ज़िन्दगी की उलझने बढती जाती है,
हम जीते है या मरते है ये सवाल बढ़ते जाते है।
चाहते है हम ज़िन्दगी से कुछ एसा,
जो हमे मिल नहीं सकता,
इसी वजह से हसना तो दूर ,
रोने का भी समय नहीं मिलता।
क्यों इसे हम समज नहीं पाते ,
क्यों खुद की मर्जी से जी नहीं पाते ,
बहुत ऐसे सवाल है,
जिनके जवाब अभी बाकी है ,
और नए सवाल इसमें जुड़ते जाते है,
चाहते तो है हम इस ज़िन्दगी को समजना ,
पर जितना समजने की कोशिस करो ,
उतना ही उलझा देती है ये ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी की कश्म्कस को जो समजता है,
वही इस ज़िन्दगी जी पाता है।
ज़िन्दगी हमे इसे इंसानों से मिलवाती है,
जिन्हें हम जान से ज्यादा प्यार करते है,
फिर ये ज़िन्दगी इसे मोड़ पे खड़ा करती है,
जिसको हम जान से ज्यादा चाहते है,
वाही बिच राह में छोड़कर चला जाता है,
ज़िन्दगी को क्या मिलता है ये सब करके\,
दिल तो हमारा तडपता है दूरिय सहके,
ज़िन्दगी अपना काम करके जाती है,
हम कितना भी खुश रह ले,
एक दिन ये हमे रुलाती है,
ज़िन्दगी क्यों हमे मिली है ,
जीने के लिए या मरने क लिए मिली है।
क्यों इसे हम समज नहीं पाते ,
क्यों खुद की मर्जी से जी नहीं पाते ,
बहुत ऐसे सवाल है,
जिनके जवाब अभी बाकी है ,
और नए सवाल इसमें जुड़ते जाते है,
ज़िन्दगी क्यों हमे मिली है ,
जीने के लिए या मरने क लिए मिली है।
***