[Hindi Poem on Love – That Love is No More there]
ना ही वो इश्क रहा ना ही वो प्यार रहा
ना ही अब नज़रों में वैसा एतबार रहा
हर कोई बंद यहा अपनी भूख के जद में
अब भला किसको यहाँ किसका इंतजार रहा
कब तलक एक कोई सबकी राह देखेगा
उसकी भी उम्र हुई वो भी ना जवान रहा
हम भी एक परवाना थे शमां पे कुर्बान हुए
फिर कहा शमां पे कुर्बां कोई परवाना हुआ
अब ना वो हम ही रहे और ना वो तुम ही रहे
फिर ना कोई तुम सा या फिर हम सा दीवाना ही हुआ
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