परिवर्तन : नारी सक्ति जागरूकता
हर पत्थर हृदय पिघल गया ,हर दिल था जो दहल गया
हुई एक घटना अनहोनी, एक आँगन प्यारा उजड़ गया|
इक प्यारी सी बिटिया का जीवन ,देखो कैसे उछल गया
उसने तो ना जाना था ,समाज का ये कड़वा रूप ,
जीवन की इस रेखा मै ,देखो कैसे बदल गया ,
उसके कितने सपने थे , ना जाने कितने अरमान थे ,
पलभर मै उसके सारे सपने ,ना जाने कौन कुचल गया ,
क्या नारी को इस जीवन को जीने का है अधिकार नही ,
फिर कोई कैसे उसके जीवन को जबरन ही पलट गया ,
हम कोमल है , लाचार नहीं ,
करो हमसे ऐसा व्यव्हार नही ,
हमको भी सबके जैसे ,जीवन को जीने की इच्छा है ,
फिर क्यों पुरुष इस बात को ,करता है स्वीकार नही ,
दुःख के बादल ,झड़ जाने दो ,
खुशिया अपने संग लाने दो
परिवर्तन : नारी सक्ति जागरूकता
यह संसार हमारा है , हमको तो यह प्यारा है ,
हर नारी यहाँ पर सीता है , जिसके अंदर डर जीता है ,
कही कोई रावण न आ जाये , दामन को ना हाथ लगा जाये |
रामायण के तो रावण ने सीता को फिर भी बख्शा था ,
कलियुग के तो रावण ने हर सीता को केवल भक्षा है ;
तू दुःख की बेला त्याग दे , जीवन का यू श्रृंगार कर
परिवर्तन है जीवन का नियम ,इस बात को स्वीकार कर
नारी से ही इस संसार का ,सदैव ही उद्धार हुआ
इस कटु बेला के बाद ही ,समाज का सुधार हुआ ,
तू गम के आंसू त्याग दे ,तू ही तो दुर्गा माता है ,
इस श्रिष्टि के रचना की ,तू ही तो एक बिधाता है
तूने सबको जन्म दिया ,तू ही तो रचनाकार है ,
तू अनदेखा ना कर इसको ,तेरी हर तरफ जय जयकार है ,
विजय और पराजय तो संसार के दो पहलू है ,
जीवन के इस दर्शन मे ,तेरी तो अनुपम महिमा है
परिवर्तन नारी शक्ति जागरूकता
जन्म हुआ यहाँ सीता का ,लक्ष्मी ने भी जनम लिया ,
जीवन को कुशल बनाने का ,मानव को वरदान दिया
हम यह संकल्प मनाएंगे , हम स्वच्छ राष्ट्र बनाएगे ;
सबको यही दिखलायेंगे ,
उस रावण का संहार हुआ ,यह रावण भी जल्दी जायेगा ,
इतिहास पुनः दोहराएगा ,इतिहास पुनः दोहराएगा|
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