चंद “बिस्कुट” के टुकड़े …. उसके “टिफ़िन” से झाँकते ,
आज फिर उसके बुझते हुए …..सपनों को ताकते ।
उस मासूम के चेहरे पर ….उठते कई सवाल ,
नीरसता से भर रहा …..उसके ह्रदय का “तरंग ताल “।
कभी होता था “परांठा “……..उसके भी इसी “टिफ़िन” में ,
आज “पराँठे ” की सुगंध से ….तड़पता वो इस “कक्ष” में ।
अचानक बंद करके “टिफ़िन” को …..वो भाग गया उपवन की ओर ,
क्योंकि सह नहीं पाया था …..वो बच्चों का उठता हुआ शोर ।
कोई कहता था कि उसकी …..मम्मी ने बताया ,
अच्छा हुआ जो हट गया …..ऐसी “माँ” का ….उस पर से साया ।
कोई उसके पिता पर ताने …. कस रहा ,
कि अंकल तयारी कर रहे हैं ….बसाने को घर ….एक और नया ।
उसके लिए तो …वही दोनों ….उसके माँ-बाप थे ,
एक देवता और देवी के जैसे ….मन में पनपते हुए विचार थे ।
वो बेचारा क्या जाने ….रिश्तों में होते हुए अलगाव को ,
पर हाँ “टिफ़िन” में रखे हुए वो “बिस्कुट”….कहते थे कुछ नयी बात को ।
कि “माँ ” होती तो रोज़ नया कुछ …. उसको भी बनाकर देती ,
उसके “टिफ़िन” को खाने की भी …..दोस्तों में एक चाह होती ।
यूँ रोज़ इन सड़े हुए “बिस्कुट” से न पापा …. लंच को भरते,
मुझपर इस तरह से हँसकर ….न कक्षा के बच्चे तरस करते ।
धीरे-धीरे उसका मन ….पढाई से हटने लगा ,
वो कक्षा का मौहल ….उसको रोज़ ठंडा करने लगा ।
और एक दिन अचानक से …..वो फूट -फूट कर बिखरने लगा ,
अपने हाथ में थामे हुए उस “टिफ़िन” को ….उपवन में उल्टा पलटने लगा ।
पूछने पर चौकीदार के …..सिर्फ इतना ही वो कह पाया ,
ये “बिस्कुट” नहीं …..मेरे माँ-बाप का दिया हुआ है …….”प्यार का साया “।।
A Message To Divorced Parents-
When parents decide to divorce , their children are faced with multiple Stressors ,
With a decreased standard of living and society pressures,
Your “Fight” is snuffing a Toddler”s Light…
So think twice ……Before to settle a new Life.