Rape Of A Navraatra Devotee: In India, on one hand girls are worshipped as symbol of power, Goddess Durga, On other hand even young girls are raped in the same society.
फिर से नवरात्रों की धूम मची ….
लो फिर से है दुर्गा अष्टमी आई ,
गली-गली, गाँव-गाँव के घरों में ….
बुला कन्याएँ …..कंचक जिमाई ।
फिर से आया एक बुरी आत्मा का साया …..
लो फिर से है एक ठरकी का जी ललचाया ,
गली-गली , गाँव-गाँव घूम कर उसने ….
एक मासूम कन्या को आखिर फुसलाया ।
एक ओर भोली-भाली सी कन्याएँ ,
हाथों में कलावा पहने पंगत में आएँ ,
चरणों को धोकर उनके जब तिलक लगाएँ ,
तो साक्षात देवी माँ के दर्शन हो जाएँ ।
दूजी ओर बंद कमरे में एक मासूम कन्या ,
धीरे-धीरे चख रही विष की दुनिया ,
वहशियों के घिनोने इरादों को ….
जब तक समझी तब तक लुट गई उसकी दुनिया ।
एक ओर हलवा-पूरी का भोग लगा ….
नन्ही-नन्ही कन्यायों को कर दिया विदा ,
ठुमक-ठुमक कर हाथों में प्लेट को थामे ,
दुर्गा-अष्टमी के दिन वो धरतीं रूप सयाने ।
दूजी ओर बस कन्या दिखती भोग की वस्तु ,
भोग-भोग कर उसको कर दिया लाचार परस्तु ,
इतनी हैवानियत से उसको रौंदा ….
कि हर सुनने वाले का खून है खौला ।
एक ओर कन्यायों में देवी रूप है जागा ,
दूजी ओर वही रूप कलुषित हो ऐसे भागा ,
एक ओर कन्यायों की है ढूँढ मची ….
दूजी ओर कन्यायों को करने चले दफन यहीं ।
एक ओर कन्याओं पर सौ-सौ नोट लुटाएँ ,
दूजी ओर कन्यायों की अस्मत लेने के लिए औज़ार घुसाएँ ,
एक ओर तिलक लगा माथे पर है लाली सजी ,
दूजी ओर वही लाली देखो खून बनकर बही ।
ये कैसी विडम्बना हो रही है कलयुग में ?
जहाँ कन्या को स्त्री समझ भोग रहे ,
क्यूँ “दुर्गा ” अब आती नहीं है नष्ट करने ….
मधु-कैटभ को जो सेवन अब कन्या का करें ?
बदल नहीं सकती मानसिकता गर पुरुषों की ,
तो क्यूँ हम पैदा करें …..सोचो कन्याएँ ?
क्या नहीं होगा अच्छा ये …..सोचकर तो देखो ,
जब रह जाएँ सिर्फ यहाँ “मर्दों’ के साए ।
तब भोग कर वो एक -दूजे को यूँ घंटों ,
तृप्त करके रच देंगे वो ऐसी घटनाएँ ,
जिन्हे पढ़कर आनेवाले युग में सोचेंगे सब ,
कि क्यूँ थी कलयुग में ऐसी वीभत्स रेखाएँ ?
मत कहो कन्यायों को देवी का स्वरुप ,
मत कहो कन्यायों को एक नया प्रतिरूप ,
जब तलक ये वहशियाना कदम बढ़ेंगे ,
तब तक ये जिस्म~ओ~ जान यूँ ही तपते रहेंगे ।
गर मनाना चाहते हो “देवी” के नवरात्रे ,
तो पहले स्त्री की अस्मत बचाने की लौ जलाओ ,
और जब वो ज्वाला जलकर अपना प्रकाश फैलाए ,
तब उस प्रकाश में अपनी मानसिकता को नहलायो ।
हाँ हम भक्त हैं ….उस “दुर्गा” माँ के ,
जिसको पूजने की खातिर रखते हैं व्रत इतने ,
अब या तो अस्मत को नहीं ….लुटने हम देंगे ….
या फिर अगले नवरात्रे …. व्रत में देवी को “नग्न” पूजेंगे ।
है गर हिम्मत …हम सब में बोलो इतनी ,
तो ख़त्म ये अस्मत का खेल करना पड़ेगा ,
आज नहीं ….कल नहीं ….बस सोच लो ये ,
कि अबला नारी के तन को …फिर से ढकना पडेगा ।
मत फुसलायो बच्चियों को …..करने को बलात्कार ,
मर्द की औलाद हो तो …..खर्चो नोट बेशुमार ,
है गर हिम्मत जो तुममे ….तो शौक पूरे अपने करो ,
वैशाल्यों में जाकर के अपनी ….हवस को तुम ठंडा करो ।
शर्म से धरती गड़ी और शर्म से अम्बर गड़ा ,
जब नाम तुमने अपना देखो …..इस तरह कलंकित किया ,
आज गर जवानी है तो …..कल ये भी बुढ़ापा बनेगी ,
गर आज तुम लूटोगे अस्मत ….तो कल तुम्हारी भी अस्मत यूँही लुटेगी ।
इसलिए याद रखो ……”देवी” की ये अराधना ,
“कन्या” ही वो रूप है …..जिसकी शक्ति के आगे …न हो कोई कामना ,
पूजा ,अर्चना तुम करो …..उस “कन्या” रुपी रूप को ,
ख्यालों में भी मत लाना कभी …..ऐसे विचार ……जो रौंद दे उस “फूल” को ॥
A Message To All-
Girl Child Rape Is A Heinous Crime……Which Makes The Criminal Bas*ard………More Than Hundred
Times.