Hindi Poem on Social Issue – Save park- “Public” Park
हाथों में हाथ लिए …..
रचते हुए एक नया संसार ,
शालीनता को भंग कर रहे ,
पार्कों में बैठे “कच्ची ” उम्र के प्यार ।
सुबह Jogging पर जाओ ….
या दोपहर में Sunbath पर,
दिन-भर देखने को मिलते हैं ,
Filmy -Scenes इन सार्वजनिक पार्क पर ।
Signboards पर सजे शब्द ….
कि Maintain Decorum For Public Trust ,
लेकिन उन्हीं Signboards के नीचे ….
हो रहा सामाजिक भ्रष्ट ।
पार्क में लगी Security …..
गर्म कर रही अपनी Pocket On Duty ,
बेशर्मी का ऐसा नज़ारा ,
बन गया पारिवारिक लोगों की सरदर्दी का झाला ।
घास पर चलो तो पैरों तले “निरोध “,
लगता है मानो …..
पार्क बन गए हैं अब ,
रति-क्रीडाओं के शोध ।
बच्चो के कोमल ह्रदय में …. उठते हुए सवाल ,
कि क्यों चूम रहे हैं एक-दूसरे को …. ये प्रेमी-युगल बेमिसाल ,
उनके भोले -भाले सवालों का हल खोजने में ही ,
तय हो जाता है …. पूरे पार्क का दायरा विशाल ।
स्कूली छात्रों के Bunk मारने का सिलसिला ….
इन्ही पार्कों में बैठकर बनता है एक काफिला ,
यूँ सोलह साल की उम्र में विद्यालय का बहिष्कार ,
School Uniform बदल , सबकी आँखों में धूल झोकने का मसाला तैयार ।
बुजुर्गों को अपनी जवानी याद दिलाने का Flashback Scene ,
इन्ही प्रेमी-युगलों से होते हैं ….उनके दिल रंगीन ,
सट्टे-बाज़ी का बाज़ार सजाते हुए ये Senior Citizen ,
Decorum में चार-चाँद लगाते हैं For 2020 Vision .
Eunuchs की रोज़ी-रोटी का एक जरिया ….
आसीसें दो कि “जल्द होगी शादी ” का Formula,
“Oxygen” भी बिकने लगी है ……अब सार्वजनिक पार्क में ,
बस Indirect Sources हैं , उनको बेचने के शुरुआत में ।
Family Persons जाएँ तो कहाँ जाएँ ,अपना समय व्यतीत करने ?
“Cricket” के मैदान बन चुके हैं ,ये पार्क अब India में ,
‘Environment ” का इस तरह का “Rape” ….. गँवारा नहीं Public को ,
“Save Park -“Public” Park “-बन गया एक नया Quotation पढ़ने को।
A Message To All-
“Public Parks” are Our “Private” property to Be Fame,
So better to keep them with ‘Decorum” for country’s Name.
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