In this Hindi poem the poet blames her Lover beauty to made him a drunkard. He was a simple man but she made him do all the prohibited thing.
कल रात तेरे “शबाब” ने मुझे …..पीना सिखा दिया ,
मैं जितना दूर जाता रहा …..उतना और पिला दिया ।
डर था मुझे भी पहले-पहल ……”जाम” बनाने का ,
जो थामा “जाम” मैंने तो ……”नशा” और छा गया ।
पहला “घूँट” जो भरा था मैंने …….तेरे नाम का ,
उस “घूँट” में ही तेरे शबाब का ……”नशा” सा समा गया ।
वो महफ़िल जिसमे बैठे “यार” मेरे …..अपना गम भुलाने को ,
उसी महफ़िल का देखो मुझे भी …….तलबगार बना दिया ।
कल रात तेरे “शबाब” ने मुझे …..पीना सिखा दिया ,
मैं जितना दूर जाता रहा …..उतना और पिला दिया ।
मुझे फूलों पे मंडराता हुआ ……एक भँवरा बना दिया ।
मैंने तेरे हुस्न की यादों को …….एक बहाना बना दिया ।
उसकी तड़प की सोच में ……मेरे अन्दर सारा “जाम” समा गया ।
मैं जितना दूर जाता रहा …..उतना और पिला दिया ।
मैंने तेरे जिस्म की गर्मी से तड़प ….”जाम ” दूजा फिर बना लिया ।
हाय …तेरी कसम …..मेरा “जाम ” ना जाने …….मुझमे कब समा गया ?
वो भरकर कब छलक गया …….और मुझे “दीवाना” बना गया ।
मैं जितना दूर जाता रहा …..उतना और पिला दिया ।
हाँ ,इस बार मैं तेरे तन से लिपट …..”पैमाना” गले लगा गया ।
वो क्या समझें कि ये तूफ़ान तेरा ……मुझे और तूफानी बना गया ।
तू क्या समझे तेरे “शबाब” ने मुझे …….”शराबी” बना दिया ।
कल रात तेरे “शबाब” ने मुझे …….पीना सिखा दिया ,
हर “घूँट” में मुझे तेरे जिस्म की ……बूँदों से नहला दिया ॥