तुमने हर पल मुझे रोका …..हवायों में गीत गाने से ,
तुमने हर पल मुझे टोका …..फूलों के संग मुस्कुराने से ,
तुम्हे लगता था कि कोई देख लेगा ….मेरे हवा में लहराते दुपट्टे को ,
तुम्हे लगता था कि कोई कैद कर लेगा …… मेरे चेहरे की खिलखिलाती हँसी को ।
मैं जब भी बाहर जाने को कहती ……तुम दामन पकड़ कर रोक लेते ,
मैं जब भी ऊँचाइयों को छूने लगती ….तुम हर ऊँचाई को बढ़कर तोड़ देते ,
तुम्हें लगता था कि मेरा दामन …….बाहर की दुनिया में बेदाग़ हो जाएगा ,
तुम्हे लगता था कि मेरी ऊँचाई से ……तुम्हारे अन्दर का पुरुषार्थ मर जाएगा ।
मैं अकेली सी बंद कमरे में …..एक पंछी की भाँती तड़पती ,
जिसके पंख तो थे मगर पँखों में …..सामाजिक बेड़ियाँ बसर करती ।
तुम्हे लगता था कि वही कमरा ……मेरे स्त्रीत्व की पहचान है ,
तुम्हे लगता था कि वही पंख …….मेरी आजादी का सम्मान हैं ।
मैं धीरे-धीरे घुट-घुट कर …….अपनी बदकिस्मती का रोना रोने लगी ,
अपनी अंतरात्मा के बोझ तले ….हज़ारों सवालों को ढोने लगी ।
तुम्हे मेरी बदकिस्मती में भी ……अपने परिवार का हित नज़र आया ,
तुम्हे मेरे सवालों में भी …….बगावत का कीड़ा नज़र आया ।
मैं हर तरह से हार मानकर ……..अब काग़ज़ पर कलम चलाने लगी ,
अपनी मरती हुई सोच में …….एक नयी सोच जगाने लगी ,
तुमने अब मेरे ……..कागज़ और कलम पर भी ऐतराज़ जताया ,
तुमने मुझे “लेखिका” बनने पर भी …….सौ बार ताना जताया ।
आज मुझे एहसास है तो बस ……अपनी “सोच” की कामयाबी का ,
आज मुझे दुःख है तो बस ………तुम्हारे संकीर्ण ख्यालों का ।
लेकिन एक छोटी सी ख़ुशी है ………जो अब मेरे भीतर समायी है ,
कि तुमने हर पल मुझे टोका ……मगर मेरे विचारों में ……अब तक न तुम्हारी कोई “रोक” लग पायी है ।
Do Remember Dear-
A women is always under Pressure with Men’s thoughts ,
But No men can enter In Her “Writing Blogs”,
So I Am Freeeeeeeee in my Thoughts too.