This Hindi poem highlights the value to speak the truth for young generation. Parents should encourage their children to value truth in their life.
कल रात मेरा बारह वर्षीय मासूम सा “बेटा” ….”झूठ” की दीवार बना रहा ,
मेरे पूछे गए हर सवाल को ……एक नए “झूठ” से छुपा रहा ।
मुझे दुःख उसके द्वारा किये गए नुकसान का नहीं …..बल्कि उसके “झूठ” बोलने का था ,
जिसे अपने ज़हन में बसा ….वो धीरे-धीरे उसका आदी हो चला था ।
इतनी कम उम्र में अगर …..वो इस तरह से “झूठ” को अपनाएगा ,
तो क्या होगा नहीं पता मुझे …..जब वो हमारी तरह व्यसक बन इठलाएगा ।
मैंने गुस्से में उसे लगा तो दिए …….थप्पड़ दो और चार ,
पर मेरे पूछने पर उसने यही कहा ……कि “माँ” झूठ बोलना ही है ……आजकल का सबसे बड़ा कारोबार ।
पता नहीं आप किस भरम में ….अब तक जी रही हो ?
जो लोगों को “सच” बोलने की ……नयी सीख दे रही हो ।
ये कलयुग है “माँ” ….यहाँ “सच” बोलने वालों की ……नहीं सुनता कोई पुकार ,
क्योंकि “झूठ” बोलना ही होता है …..यहाँ पर जनम सिद्ध अधिकार ।
सुनकर उसके मुँह से ऐसे वचन ……मैं अपने अंतर्मन को कहीं धिक्कार रही ,
कि क्या हो गया है इस युवा पीढ़ी को ……जो पैदा होते ही ……”झूठ” के अक्षर अपनी “किताब” में निहार रही ।
हाँ ,ये सच है कि ….सच और झूठ दोनों का ही …..होता है एक अटूट नाता ,
परन्तु “झूठ” उतना ही बोलो …..जितना आटे में नमक है सुहाता ।
अगर आटे में नमक ज्यादा मिलाकर …….रोटी को पकायोगे ,
तो एक दिन बेस्वादी से भरी रोटी ही …….इस जिंदगी में खायोगे ।
“झूठ” युधिष्ठर ने भी बोला था कभी ……किसी के प्राण बचाने की खातिर ,
यही उपदेश “गीता” में भी लिखा है …..कि “झूठ” बोलने वाला भी होता है ….कहीं न कहीं शातिर ।
मैंने उसे यही समझाया ……..कि “झूठ” बोलना कोई अपराध नहीं ,
मगर बात-बात पर “झूठ” से ……भवन का निर्माण करना ……भी कोई अच्छी बात नहीं ।
यही सीख देती हूँ मैं …..आजकल की इस नयी युवा पीढ़ी को ,
कि “सच” को अपने ज़हन में लायो …….गर चाहते हो पाना अपनी एक “पहचान”……चढ़ने नयी सीढ़ी को ।
याद रखो ….”सच” बोलने वाला ही होता है ……जीवन में शत प्रतिशत कामयाब ,
“झूठ” बोलने वाला जीत भी जाए गर इस सामाजिक जंग को …..तब भी उसके सीने में सुलगती रहती है ….कहीं न कहीं एक “आग”॥
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