तू कहे जाने को ……. तो चली जाती हूँ ,
तू कहे आने को ……. तो चली आती हूँ ,
तेरे इशारों की गुड़िया हूँ मैं ,
तेरे रँग में रँगी जाती हूँ ।
तेरा रँग है बहुत नशीला ……… इसका नशा चढ़ जाए ,
तेरा संग है बहुत कटीला ……… इसमें यौवन ये समा जाए ,
तेरे इशारों की बहती हवा हूँ मैं ,
तेरे संग से बँधी जाती हूँ ।
रँगों को समझने का ……. अंदाज़ तुझसे सीखा ,
अंगों के तड़पने का ……. एहसास तुझसे सीखा ,
तेरे आदेशों की मस्ती हूँ मैं ,
तेरे साथ से बिखर जाती हूँ ।
बाहों में तड़पने को ……… तेरे साथ मचल जाऊँ ,
अधर तेरे चूमने को ……… तेरे फिर और करीब आऊँ ,
तेरे सवालों की एक पहेली हूँ मैं ,
तेरे रूप से निखर जाती हूँ ।
प्यासा सा मन ये मेरा ……. तेरी प्यास और बढ़ाए ,
तेरे बुलाने पर फिर ……. अपनी अगन ना छुपा पाए ,
तेरे बदन पे गिरती बूँद हूँ मैं ,
तेरी तपिश से उड़ी जाती हूँ ।
तू कहे जाने को ……. तो चली जाती हूँ ,
तू कहे आने को ……. तो चली आती हूँ ,
तेरे इशारों की लहर हूँ मैं ,
तेरे सागर में डूब जाती हूँ ।
रातों में सिमटने को ……… तेरे अंग से अंग मिलाऊँ ,
ढूँढने अपनी चुभन को ……… तेरे तीरों से घायल हो जाऊँ ,
तेरे इशारों की खादिम हूँ मैं ,
तेरे कहने से बहक जाती हूँ ।
प्यासा सा तन ये मेरा ……. हर रोज़ तेरी राहें तकता ,
कभी ठहर है जाता ……. कभी लौट के है तड़पता ,
तेरे इंतज़ार की राहें हूँ मैं ,
तेरी आने पे इठला जाती हूँ ।
सामने तू गर आ जाए ……… तो मैं भाग जाऊँगी ,
हवाओं में तेरी साँसों को ……… महसूस करके छिप जाऊँगी ,
तेरे ख्यालों की जलती लौ हूँ मैं ,
तेरे सच से सिहर जाती हूँ ।
तू कहे जाने को ……. तो चली जाती हूँ ,
तू कहे आने को ……. तो चली आती हूँ ,
तेरे इशारों की महफ़िल हूँ मैं ,
तेरे नशे में डूब जाती हूँ ॥
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