This Hindi poem highlights the dilemma of a beloved Heart in which the poetess wanted to know from Her Lover that How she will be get to know that Her Heart needs the Love of someone. As Her Lover was surprised about Her absurd question so She felt sorry for the same and advice Him not to indulge in Her useless questions in which She Herself get trapped off.
उलझो ना मेरे सवालों में तुम ………. मैं खुद ही उलझ के रह गई ना ,
इस मन की अनोखी कहानी को ……… मन ही मन में समझ ……… कुछ कह गई ना ।
ये मन पागल सा क्यूँ है ……. बताता क्यूँ नहीं कुछ हमें बोलो ?
कि आज हमारा भी मन है …… कुछ करने का ………. इसलिए सब खोलो ।
फिर कैसे भला हम इसको समझें ……. ये क्यूँ इतना बेदर्दी सा है ?
हम भोले-भाले लोगों के लिए ……… ये क्यूँ इतना सरदर्दी सा है ?
उलझो ना मेरे सवालों में तुम ………. मैं खुद ही उलझ के रह गई ना …………
कभी मैं सोचूँ कि इससे पूछूँ ………. क्या आज तेरा मन भी है , बता ?
फिर अगले ही पल मैं ये सोचूँ ……… इसे कैसा लगेगा ……… कहना इस तरह ।
मैं फिर से भँवर में हँस के फँसी ……. इस मन की अनोखी पहेली ना बुझी ,
मैं क्यूँ ना अब भी ये समझ ना सकी …… कि आज मेरा मन भी है ना ।
उलझो ना मेरे सवालों में तुम ………. मैं खुद ही उलझ के रह गई ना …………
मेरे सवालों का कोई ठौर नहीं ………. ये बे~सिर~पैर की बातें हैं ,
तभी तो शायद ये मेरा मन ……… बताता नहीं मुझे ……… कि ये तनहा रातें हैं ।
मेरे मन ये बता दे ना तू मुझे ……. कि सावन अब आया है भादो में ,
मैं बरसने की तकती हूँ राह इधर …… वो बरस भी गया उधर किनारों में ।
उलझो ना मेरे सवालों में तुम ………. मैं खुद ही उलझ के रह गई ना …………
मन को समझना शायद एक खेल नहीं ………. मन तो खुद अपना ही राजा है ,
कभी ये किसी के बुलाने पर दम भरे ………तो कभी खुद के दम से भी आधा है ।
मैं यूँही परेशाँ सी होने लगी ……. इस मन की गहराई में उतरने को आज ,
शायद तुमने सच ही तो कहा था ना …… कि मन पे किसी का ना चलता कोई राज़ ।
उलझो ना मेरे सवालों में तुम ………. मैं खुद ही उलझ के रह गई ना …………
मुझे मन ही मन अब समझ आने लगा ………. कि मन को समझना नामुमकिन है ,
कभी इस मन में सौ तरंगें जगें ………तो कभी इस मन में सौ उलझनें हैं ।
जब उलझनों को हटा एक उजाला दिखेगा ……. तभी तो ये मन अपनी रौ में सजेगा ,
तब मन की ही होगी यहाँ एक बड़ी जीत …… क्योंकि तब ही तो ये मन कहेगा ……… आ मुझे भी अपने संग ले तू खींच ॥
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