This Hindi poem depicts the selfish nature of today’s Era Man who become so hard hearted that HE has no sympathy even with His family members .
हो गया मेरा खून सफ़ेद …….दर्द अब होता नहीं ,
अपनों के ही ज़ख्म देख ……ना जाने अब क्यूँ रोता नहीं ?
अपने बचपन में साथ खेले ….भाई-बहनों की याद अब ,
आकर के भी आती नहीं …..क्योंकि हो गया मेरा खून सफ़ेद ।
माँ कहती है -“तू बेटा मेरा” …..मैं उसका हाथ झटक कर हटा देता हूँ ,
तू नहीं है अब “माँ” मेरी ….ऐसी सोच को अपने मन में गहरा देता हूँ ।
“बाबूजी” जो बचपन में मेरे …..ऊँगली पकड़ कर मुझे चलाते थे ,
आज उन्ही की बैसाखियों को मैं ……अपनी लातों से गिरा देता हूँ ।
वो रिश्तेदार मेरे ……जो मुझे ….कभी अपनी गोद में उठाया करते थे ,
आज उन्ही रिश्तेदारों के घंटी बजा देने पर ……मैं अपने दरवाज़े पर ताले लगा देता हूँ ।
क्योंकि हो गया है मेरा खून सफ़ेद …..दर्द अब होता नहीं ,
अपनों के ही ज़ख्म देख …..न जाने अब क्यूँ रोता नहीं ?
मेरा परिवार है अब मेरे लिए सर्वोपरि …..उनके ही ज़ख्म मुझे ….सिर्फ नज़र आते हैं ,
बाकी दुनिया के लोग तो अब ……सिर्फ एक तमाशबीन की श्रेणी में गिने जाते हैं ।
कसूर मेरा नहीं ….इस कलयुग का है शायद ….जहाँ संस्कारों को किताबों से हटा दिया है ,
मनो में एक-दूसरे के इतनी नफरत भर ……समाज में जीना सिखा दिया है ।
तभी हो गया है मेरा खून सफ़ेद …..दर्द अब होता नहीं ,
अपनों के ही ज़ख्म देख …..न जाने अब क्यूँ रोता नहीं ?
खून सिर्फ मेरा नहीं ….अब हर मानव का …….धीरे-धीरे सफ़ेद होता जा रहा है ,
और आने वाली पीढ़ी का तो ……”बेरंग” बनने की खातिर ….अभी से Tutions ले रहा है ।
किसी की मृत्यु अब ….सिर्फ कुछ घंटो की …..औपचारिकता बन के रह गयी है ,
उसमे भी Phone Calls Attend करने की मजबूरी …….शमशान घाट के Compound में बयाँ हो रही है ।
“क्या हो गया है मुझे ?”…….अक्सर तन्हाई में मैं ये सोच ……जब खुद के मन का मंथन करता हूँ ,
तब अपने लाल रंग के खून को …….सफ़ेद होता देख …..कहीं एक कोने में सिहर उठता हूँ ।
वो दर्द…. वो आँसू …..वो टीस ….वो ज़ख्म …….सब एक भाव बन गए हैं अब मन के ,
जो समय के साथ लुप्त हो गए …..और हम सिमट गए …..सिर्फ एक छोटी सी मुस्कान बनके ।
आज का मानव अगर ऐसे ही …….”सफ़ेद खून” में बदलता जाएगा ,
तो उसका चेहरा कुछ दिनों बाद ……..सिर्फ एक “तस्वीर” नज़र आएगा ।
जहाँ उसके चेहरे पर भाव तो आयेंगे …….पर वही भाव उसकी सोच में न समायेंगे ,
क्योंकि तब “वो” यही कहेगा कि ….. “हो गया मेरा खून सफ़ेद” …….हाँ …..”हो गया मेरा खून सफ़ेद” ॥
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