A Wish To Write An Epic: Author prays god for her wish to write an epic such as Ramcharitmanas by great author Tulsidas. She wants to highlights today’s humanity in the epic.
प्रभु तेरे चरणों में ….मेरा सौ -सौ बार प्रणाम ,
मैं मूरख हूँ …दे-दे मुझको ……अपनी भक्ति का ज्ञान ।
प्रभु तेरे मंदिर में ….मैंने लिख दिया अपना नाम ,
मैं अंधा हूँ …दे-दे मुझको …..अपने चरणों का ध्यान ।
प्रभु तेरी बगिया के …..मैंने चुन लिए फूल तमाम ,
मैं लालची हूँ …..दे-दे मुझको …..अपनी बगिया में काम ।
प्रभु तेरी मूरत में …….मैंने आँके गहनों के दाम ,
मैं मतलबी हूँ ……दे-दे मुझको …..इस पाप के लिए इनाम ।
प्रभु तेरी भक्ति में …..मेरे तन-मन हैं कुर्बान ,
मैं अज्ञानी हूँ …..दे-दे मुझको …..कुछ ज्ञान भरा सम्मान ।
प्रभु मेरे कर्मो में …..तेरे आशीर्वाद का नाम ,
मैं कर्मयोगी …. इस युग का ….दे मेरे कर्मयोग को पहचान ।
प्रभु मेरी वाणी में …..तेरे शब्दों की है शान ,
मैं रखवाला …इस वाणी का …..तू भर दे सुर और तान ।
प्रभु मेरे अंतर्मन में …..तेरी भक्ति की है खान ,
मैं अज्ञानी …..उसे पाने का ….दे-दे मुझे गीता ज्ञान ।
प्रभु मुझे भोगी से ….कर दे तू योगी प्रधान ,
मैं भोग-विलास से ….तंग आकर ……अब चाहता चारों धाम ।
प्रभु इस कलयुग में …..छल और कपट की है दुकान ,
मैं रक्षक बन ….बदलना चाहता हूँ …..उस दुकान में एक मकान ।
प्रभु मेरे जीवन में …..सबसे ज्यादा है झूठ का नाम ,
मैं पापी हूँ ….हर ले मेरा …..झूठ और कपट तमाम ।
प्रभु तुम्हे पाने को …..मैं बन गया फिर बेनाम ,
मैं अभिलाषी नाम कमाने का ……हर ले मेरा इन्द्रिये ज्ञान ।
प्रभु मैं इस योनि का …….सबसे दुखद जीव तमाम ,
मैं नश्वर हूँ …..दे-दे मेरी …..आत्मा को एक अमर वरदान ।
प्रभु मैं दास हूँ …..गाता तेरी …..महिमा का गुणगान ,
मैं सेवक बन …तेरे मंदिर में ….अर्पित करता दोष तमाम ।
प्रभु मुझे बुद्धि दे ……मेरी बुद्धि में भरा अज्ञान ,
मैं ज्ञानी बन …..लिखना चाहता हूँ …..एक और ग्रन्थ महान ॥
बना दे मुझे “तुलसीदास” कलयुग का …..एक ग्रन्थ मैं भी लिख दूँ ,
“रामचरितमानस” न सही ……इस युग के “मानस” की कुटिलता को कुचल दूँ ॥