A Wish To Write An Epic: Author prays god for her wish to write an epic such as Ramcharitmanas by great author Tulsidas. She wants to highlights today’s humanity in the epic.

Hindi Poem – A Wish To Write An Epic
Photo credit: wallyir from morguefile.com
प्रभु तेरे चरणों में ….मेरा सौ -सौ बार प्रणाम ,
मैं मूरख हूँ …दे-दे मुझको ……अपनी भक्ति का ज्ञान ।
प्रभु तेरे मंदिर में ….मैंने लिख दिया अपना नाम ,
मैं अंधा हूँ …दे-दे मुझको …..अपने चरणों का ध्यान ।
प्रभु तेरी बगिया के …..मैंने चुन लिए फूल तमाम ,
मैं लालची हूँ …..दे-दे मुझको …..अपनी बगिया में काम ।
प्रभु तेरी मूरत में …….मैंने आँके गहनों के दाम ,
मैं मतलबी हूँ ……दे-दे मुझको …..इस पाप के लिए इनाम ।
प्रभु तेरी भक्ति में …..मेरे तन-मन हैं कुर्बान ,
मैं अज्ञानी हूँ …..दे-दे मुझको …..कुछ ज्ञान भरा सम्मान ।
प्रभु मेरे कर्मो में …..तेरे आशीर्वाद का नाम ,
मैं कर्मयोगी …. इस युग का ….दे मेरे कर्मयोग को पहचान ।
प्रभु मेरी वाणी में …..तेरे शब्दों की है शान ,
मैं रखवाला …इस वाणी का …..तू भर दे सुर और तान ।
प्रभु मेरे अंतर्मन में …..तेरी भक्ति की है खान ,
मैं अज्ञानी …..उसे पाने का ….दे-दे मुझे गीता ज्ञान ।
प्रभु मुझे भोगी से ….कर दे तू योगी प्रधान ,
मैं भोग-विलास से ….तंग आकर ……अब चाहता चारों धाम ।
प्रभु इस कलयुग में …..छल और कपट की है दुकान ,
मैं रक्षक बन ….बदलना चाहता हूँ …..उस दुकान में एक मकान ।
प्रभु मेरे जीवन में …..सबसे ज्यादा है झूठ का नाम ,
मैं पापी हूँ ….हर ले मेरा …..झूठ और कपट तमाम ।
प्रभु तुम्हे पाने को …..मैं बन गया फिर बेनाम ,
मैं अभिलाषी नाम कमाने का ……हर ले मेरा इन्द्रिये ज्ञान ।
प्रभु मैं इस योनि का …….सबसे दुखद जीव तमाम ,
मैं नश्वर हूँ …..दे-दे मेरी …..आत्मा को एक अमर वरदान ।
प्रभु मैं दास हूँ …..गाता तेरी …..महिमा का गुणगान ,
मैं सेवक बन …तेरे मंदिर में ….अर्पित करता दोष तमाम ।
प्रभु मुझे बुद्धि दे ……मेरी बुद्धि में भरा अज्ञान ,
मैं ज्ञानी बन …..लिखना चाहता हूँ …..एक और ग्रन्थ महान ॥
बना दे मुझे “तुलसीदास” कलयुग का …..एक ग्रन्थ मैं भी लिख दूँ ,
“रामचरितमानस” न सही ……इस युग के “मानस” की कुटिलता को कुचल दूँ ॥