Wo chitrkar ladki- This Hindi poem is about a painter girl who paints excellently but unable to relate herself to her paintings. She wants a happy face for her paintings.
रंगो के बारे मे उसकी समझ देखकर तारीफ नहीं करते थकते लोग….
कहते है….
हाथो मे जादू और रंगों का संसार है वो चित्रकार लड़की…..
देखने आते है दूर दूर से उसके बनाये चित्र
उसके बनाये चित्रों को देखकर कर उठते है वाह!
देखना चाहते है लोग उस चेहरे को जिसने उकेरे है ये खुबसूरत चित्र
जानना चाहते है कोन है वो अनजान चित्रकार लड़की
खुद मिलकर देना चाहते है उसे बधाई
मगर दुनिया से चेहरा छुपती फिरती
चित्रों की प्रशंशा सुनकर खुश नहीं होती वो चित्रकार लड़की
नहीं दमकता उसका चेहरा बधाईया स्वीकारते
नहीं मुस्कुराते उसके होठ और नहीं बढती उसकी आँखों की चमक
वो तो बस बनती ही जाती है अपने रंगों से केनवास पर
चित्र पर चित्र…
फिर न जाने क्या तलाशती है उन चित्रों मे
निहारती है उन चित्रों को
घंटो…..
चित्र मे…
ढेर सारे बच्चो और उनके बीच खिलकिलाती एक लड़की
चित्र मे…
खूबसूरत सा सिंगारदान और आँखों मे काजल सजाती एक लड़की
चित्र मे…
कल कल बहता पहाड़ी झरना और हाथो से पानी उड़ाती एक लड़की
चित्र मे…
काली घटा,रिमझिम फुहारे और बारिश मे ख़ुलकर नहाती एक लड़की
चित्र मे…
तेजी से बहती हवा का झोका और चेहरे से बिखरी जुल्फे हटाती एक लड़की
चित्र मे…
दीपावली के पवन तेयोहार पर दीपो का संसार सजाती एक लड़की
चित्र मे…
संगीत की चपल ताल पर मदमस्त थिरकती एक लड़की
चित्र मे….
माँ का शादी का जोड़ा और माथे पे बिंदिया सजाती एक लड़की
चित्र मे…
सलोनी सी गुडिया का ब्याह पड़ोस वाले गुड्डे से कराती एक लड़की
और ये अंतहीन सिलसिला चलता ही रहता है
और वो बस बनती जाती है
चित्र पर चित्र
क्यूंकि लड़की बनाना चाहती है उन चित्रों से अलग,बिलकुल अलग
एक सजीव चित्र ऐसा
जिसमे खुलकर हस्ता खिलखिलाता हुआ एक चेहरा ऐसा
जिसमे उसका चेहरा उसका अक्स देता हो दिखाई
लेकिन वो जब भी रंगों को समेटकर केनवास पर उकेरती है रेखाए
बनाती है नया चित्र
एक उदास सा चेहरा बन जाता है
हमेशा…..
हर बार…..
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