Life is always like a roller coaster. even when we are focused , there comes so many issues and problems which are difficult to handle and then we think why? why we are doing this?what we are upto? what is the meaning and for what?
The Hindi poem is just the situation of a mind who knows everything but still confused with a WHY???
ये कैसी जलन है जिसमें
हर रोज़ सतत मैं जलती हूँ.
हर श्वास में, हर बात में,
हर दिवस में, हर रात में,
जलता है मेरे भीतर कुछ या
मैं ही भीतर जलती हूँ,
ये कैसी जलन है जिसमें,
हर रोज़ सतत मैं जलती हूँ.
अग्नि सी निकलती है सदा
मेरे हर एक रोम से
हर श्वास की जैसे आहूती
पड़ती है जीवन होम में
हर आहूती में जैसे
मैं टूट टूट कर जुड़ती हूँ
ये कैसी जलन है जिसमें
हर रोज़ सतत मैं जलती हूँ.
कभी इस दिशा कभी उस दिशा
मन है की जैसे पागल हवा
बोराया सा ना जाने, जाना है कहाँ
ये होम है क्यूँ और इसका फल है क्या?
चाहूं ना चाहूं फिर भी
इक सोच में निरंतर बहती हूँ
ये कैसी जलन है जिसमें
हर रोज़ सतत मैं जलती हूँ.
हर जीत में, हर हार में
कभी सार में , कभी असार में
कभी बेरंग लगता है जीवन, कभी
सौ बहारों में मैं ढलती हूँ,
ये कैसी जलन है जिसमें
हर रोज़ सतत में जलती हूँ.
कभी यू भी तो मिल मुझसे कभी
की फिर कोई मिलना बाकी ना रहे
जहाँ भर के सफ़र में तू
चले तो चल किसी के साथ भी
आख़िर में मेरे दिल के सिवा
कोई रहगुज़र बाक़ी ना रहे
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एक लफ्ज़ में समेट लिया है कुल हयात को मैने
तुम साथ हो तो ज़िंदगी
तुम दूर हो तो मौत है……
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ज़्क्मी सीना हो जाए
वो दर्द ज़ुबानी दे गया
मेरी आँखों से हर ख्वाब चुराकर
बस बहता हुआ पानी दे गया…….
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