कवितायें
तेज़ाब
चलती फिरती जिंदा लाश की मानिंद सिर्फ़ एक
मांस का लोथड़ा रह गयी हूँ मैं ।
जब तेरे नापाक इरादों ने
मेरे जिस्म को ही नही मेरी
रूह तक को जला दिया था ।
आखिर कसूर क्या था मेरा ????
बस!!! तुझे ना कह दी !!!!
क्या ये तेरा प्यार था ???
नही?? प्यार के नाम पे ये तेरा
वहशियाना अंजाम था …….
तुझे इस बात का अहसास ही नही
कि प्यार क्या होता है ????
प्यार छीन कर नही समर्पण से
किया जाता है !!!
तू कहता है कि तू मुझसे
प्यार करता है , नही ???
तू सिर्फ मेरे जिस्म को पाना चाहता था !!!!
अगर तू प्यार करता तो यूँ
मेरा अपमान न करता ।
जब फेंका था तेजाब मेरे ऊपर तूने ????
उस पल जब मेरा जिस्म तिल – तिल
जल कर गल रहा था ……
मैं चीख रही थी दर्द से कराह रही थी …….
तू दूर खड़ा अपनी जीत पर
मुस्कुरा रहा था ???
आज उस ईश्वर से यही मांगती हूँ कि
अगले जन्म मे मैं लड़का बनूँ और
तू लड़की !!!!
और फिर तुझ पर भी कोई ?????
तब शायद ये अहसास हो तुझको कि
किस दर्द के अहसास से जिस्म से रूह
तक को गुजरना पड़ता है !!!!!….
मेरी कलम से ……
“अनमोल जिंदगी “
ये जिंदगी भी इक अज़ब सी पहेली है
जिसको न कोई अब तक भी समझ पाया है।
यूँ ही नही मिल जाती है ये जिंदगी
जाने कितने युगों के बाद हमने इसे पाया है।
कहीं व्यर्थ ही न गवाँ देना ये जीवन
कर जाओ कुछ काम ऐसा जिसे याद करे जमाना
कितना अनमोल है जिंदगी का हर एक पल
इसे कभी तुम कोई तमाशा न समझना ।
आती हैं तमाम मुश्किलें भी जिंदगी के सफर मे पर आग मे जलकर जो निखरे है वही सच्चा सोना ।
गुजरे जो हँस कर भी मुश्किलों के दौर से
जाना है उसी ने सच्चे अर्थों मे जिंदगी को ।।
मेरी कलम से …….