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Nights

Published by nkpritu in category Hindi | Hindi Poetry | Poetry with tag Love | Moon | night | stars

Poems on Night – Ye Raaten

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Poems on Night – Ye Raaten
Photo credit: Oleander from morguefile.com

1.चांदनी रातें – Poems on Night

रात में जब चांद देखूं तो खयाल आये मुझे

वो भी चंदा को खङी हो देखती होगी

जिस तरह मैं सोचता तनहाई में उसको

वो भी मेरे बारे में ही सोचती होगी

रात में जब चांद देखूं….

 

लोग दर्दों से हैं डरते दर्द ना दीजे

एक मेरा दिल है दर्दे दिल हि ये चाहे

ख्वाहिशें हैं तीर नजरों के चलाए वो

मैं खङा हूं राह में खोले हुए बांहें

आज कल होते मेरे दिल को कई उल्झन

वो  भी दिल के उल्झनों में उल्झती होगी

रात में जब चांद देखूं……

 

ये हवाएं छू रही हैं हांथ मेरा यूं

जैसे उसका ही संदेसा ला रहीं हो यें

इनके मखमल बाजुओं में एक चिठ्ठी है

जाने क्या उसने कहा है इन हवाओं से

आज शीतलता भी है खुशबू है इनमें

अपने आंचल की वो खुशबू घोलती होगी

रात में जब चांद देखूं……

 

2.तनहां रातें – Poems on Night

रात ऐसे बीतती है जैसे मीलों चल रहा हूं

बिन तेरे बस जल रहा हूं जल रहा हूं जल रहा हूं

अब अकेले चल सकूं ना पांव लतपत हो गए हैं

मोम की तरहा ही मैं भी गल रहा हूं गल रहा हूं गल रहा हूं

रात ऐसे बीतती है………

 

है अंधेरी रात और मौसम भी नम कुछ कम नहीं

पर हूं मैं जैसे मरू में बूंद भर शबनम नहीं

और जलते रेत पर मैं चल रहा हूं चल रहा हूं चल रहा हूं

रात ऐसे बीतती है………

 

तूं गई क्या चैन और निंदिया भि मेरी ले गई

मेरे घर में दिल में मेरे याद तेरी रह गई

तेरी यादों में मैं पल पल खल रहा हूं खल रहा हूं खल रहा हूं

रात ऐसे बीतती है……

 

ऐ खुदा तूं ये बता क्या तुझको ये मंजूर है

जान मेरी पास तेरे और मुझसे दूर है

कर फना मुझको ये सजदा कर रहा हूं कर रहा हूं कर रहा हूं

रात ऐसे बीतती है…….

 

3.नन्हा दीपक – Poems on Night

राह तारों से सजी है और चंदा चल रहा है

है अंधेरा हर तरफ नन्हा सा दीपक जल रहा है

राह तारों से सजी है……….

 

है अंधेरा घोर दीपक पर ना डरना तूं जरा

लङखङा ना गिङगङा ना रख भरोसा रह खङा

सह थपेङे इन हवाओं के मगर झुकना नहीं

हर बूंद तेरी जल न जाए तब तलक बुझना नहीं

आज अपनें नाम लिखले किसका कब ये कल रहा है

राह तारों से सजी है……

 

रात कितनी भी हो कारी पर समा भारी पङे

कर दे हर जर्रे को रोशन राह जिसपर यह चले

ऐ दिए जुगनूं नहीं तूं जो कि जल जल कर बुझे

तूं है सूरज आग तुझमें क्या कोई ठंडा करे

है तो अदना पर बङों को छल रहा है

राह तारों से सजी है………

***

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