Hindi Poems on Feelings – Feel of Air
पुणे…जाहा लोग कई सपने लिए जाते है…कोई काम की तलाश में तो तो कोई अपने सपनो को लिए…वह एक पुराना मंदिर है जहा की छत् से पूरा शेहेर नज़र आता है…उस जगह का नाम है “पर्वती” वहा जाकर अजीब सा सुकून मिलता है….वो उचाईया हमें कुछ पल के लिए ही सही पर हर परेशानियों से दूर सपनो की दुनिया में ले जाती है….वो ही एहसास आपतक पोह्चना चाहती हू…
दुनिया से दूर सन्नाटों का मखमली छाया है
हवाओ ने अपना अलग ही राग गुनगुनाया है
लगता है ये सृष्टि के सपनो का है घरोंदा
जहा हवाओ के बद्शाओ ने भी सिर जूकाया है
उस जन्नत के करीब जाने का जब मौका आया
तन्हा होकर ये दिल घबराया
पर जब बादलों को ये दिल छु आया
खुद के होने के एहसास ने गुदगुदाया
एक पल उन फिजाओ में सोने का मन् किया
अगला लम्हा उस खूबसूरती को मेरी आँखों ने निहारा था
पेडों के परे उस नीले आसमान को
खयालो ने निचे उतरा था
काली परछाई दूर छोड कर ये दिल किसी की तलाश में आया था
दूर से देख भीड़ को वो दिल ही दिल में मुस्कुराया था
क्युकी उसी भीड़ भाड में जिकर वो
खुद की आवाज़ भी न सुन पाया था
अब यहाँ से सुकून लेकर चल दिए हम
खुद के सपनो का आइना साफ़ कर बढ़ने लगे थे हम
उसी भीड़ में जाकर फ्हिर जीतने का हौसला लिए
कागज की कश्ती की और चल पड़े है हम…
Rasta…
चार सालो के इस हसीं दौर जिसे हम पढाई केहते है पर जो असल में हमारी जिंदगी के लिए उस ऊपर वाले का तौफा है उसके तीन साल पुरे हो चुके थे और मैं छुट्टियों के लिए घर जा रही थी….उस वक्त रास्ते से मैंने कई बाते की…मुज्मे कही कोई झिजक थी…डर था…क्युकी ये मेरे आखरी समर वेकेशन थे….आगे का जभी सोचती तो सबसे पहले एक ही बात ध्यान ने आती…जी ये कॉलेज लाइफ खतम होने के बाद हमें अकेले चलना है…हर घडी साथ रहने वाले दोस्त तब हमसे थोड़े दूर हो जायेंगे…अब सिर्फ मस्ती नहीं होगी…जिमेदारियो को भी समझना है…पर अकेले…तब उस रास्ते से की हुई चंद बाते….
एक था तन्हा रास्ता हम चले जा रहे है
दूर उड़ते धुएं को सीए जा रहे है
बिना पत्तों के अकेली टहनियों को हसाए जा रहे है
इन वीरानियो को भी हम जिए जा रहे है
कभी धुप कभी चाव को पिए जा रहे है
नरम मिटटी में पैर भिगोये जा रहे है
शुरवात क्या अंत क्या
हम तो बस सफर को ही जिए जा रहे है
कभी आसमान के बादल का गुमा है
कभी टूटे पेडो का नशा है
बारिश से भी नही बुझती प्यास कभी
तो कभी आंसुओ से भी नमी है
सांज की यहाँ अलग ही कहानी है
आग की लपटों में झुलसने का रंग है
कापते लबों पर किसी का तो नाम है
अकेले चलना एक नया इम्तिहान है
रात की ख़ामोशी में छुपा कोई राग है
जैसे सितारों से सजा कोई नया साज़ है
मंजिल की तलाश किसे
ये रास्ता किसी के साथ चलने का ख्वाब है
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