[Hindi Poems on Love – “Sapne”, “Athaah”, and “Kaash”]
सपने – Hindi Poems on Love
कुछ सपनों को जो पंख दिए,
वो खुले आसमान में उड़ने लगे,
बादलों की छांव मिले,
तो कभी तारों की महफिल सजी।
नरम-नरम हवा के पालनों में पलने लगे,
कोरे-कोरे ये सपने रंगों से खेलने लगे,
सुनहरी धूप की धागों से एक नया जहाँ बुनते हुए,
बिखरे-बिखरे यह सपने अपने-आप में ही सिमटने लगे।
लम्बी-लम्बी राहों पर नन्हें-नन्हें कुछ कदम,
मासूम यह सपने मंज़िल की तलाश में चल पड़े.
दीपक की लौ में सूरज की रोशनी नहीं मिली,
तो थककर यह सपने उसी लौ में जलने लगे।
वक्त आगे निकल गया, सपने पीछे छूट गए,
कुछ ठहर गए, कुछ टूट गए, कुछ खुद पर ही हंसने लगे,
ज़िन्दगी के दांव में, खुद ज़िन्दगी को हार के,
अब इन अधूरे सपनो के सौदे होने लगे।
चलते-चलते खो गये, अपनी ही धड़कन से दूर हो गए,
पीछे मुड़े तो दिखा कहानी बनके बिकता अपना ही चहरा,
फिर भी रुका नहीं सांसों और धड़कनों का यह सुस्त कारवां
क्यूंकि टिमटिमा रहा था अभी भी एक सपना सितारा बन के।
–O–
अथाह – Hindi Poems on Love
दुःख में, दुखों के गर्भ में,
सुख के अनछुए सन्दर्भ में,
आयु है क्या, क्या आंकलन,
न समय, न समय का ही स्मरण |
थाह पा लूं, यदि इस अथाह की,
तो इस चंचल चिरायु चाह की,
गति को अपनी गति मिले,
चाहे भाव मिले या क्षति मिले |
इस कोमल कल्पना को तोलकर,
भाव शब्दों में बोलकर,
चिरनिद्रा मृत्यु कि पा लूं मैं
दुखों को छंद दे, गा लूं मैं,
यही आस है, यही कामना,
शीघ्र हो अथाह से सामना |
–O–
काश़ – Hindi Poems on Love
ना समझ सका
मैं खुद जिसको
अधखुला राज़
अनकही बात
मैं काश़ तुम्हे समझा पाता
तेरी नज़रों के
दो सवाल
दो प्रश्नचिन्ह
जिनके जवाब
मैं काश़ कभी लौटा पाता
कच्चे धागे
इन सपनों के
उलझे उलझे
सुलगे सुलगे
मैं काश़ कभी सुलझा पाता
जुगनू बिखराती
चाँद रात
हाथों में हाथ
दो पल का साथ
मैं काश कभी दोहरा पाता
ख़्वाबों से महकी
सरज़मीं
वो दिलनशीं
कितनी हसीं
मैं काश तुम्हे दिखला पाता
वो गया मोड़
हम साथ छोड़
हैं अलग अलग
इक कड़वा सच
मैं काश इसे झुठला पाता
–O–