[सन्नाटा – Hindi Poems Collection]
१. सन्नाटा – Hindi Poems
है यह कैसा सन्नाटा
जो पाव पसारे है चारो तरफ
क्या है रात्रि के आगमन का डर
या दिवस के जाने का गम
चारो दिशाओ में दूर तलक
है यह कैसा शांत वातावरण
ना किसी के पदचाप की आवाज
ना ही किसी की रुद्रं और करुण पुकार
और ना ही किसी हंसी मजाक
ऐसे में मै बैठा खिन्न चुपचाप
साथ में मेरा मन अशांत
खो गया मेरे भूत के साथ
कभी जी करता इस जीवन से
छुरा लू मै अपना साथ
ताकि इस दुःख भरी जीवन से
मै हो जाऊ हमेसा के लिए आजाद
सहसा मेरे उर से निकली
एक आह भरी आवाज
कहा गई वो चेतन शक्ति
कहा गई वो सोच विचार
जिओ जीवन को नए ढंग से
और करो कुछ ऐसे काम
ताकि समाज देश और दुनिया में
किये जाओ तुम अनन्त कल तक याद
२. था मै बैठा – Hindi Poems
लौह पथ गामिनी में था मै बैठा
एक दम शांत चुपचाप अकेला
दूर तलक तन्हाई का था
यह कैसा सन्नाटा फैला
फिर भी बैठा मै अकेला
शायद था कुछ गुनगुना रहा
सहसा मेरी कानो ने सुना
आवाज था जो आह भरा
जिसको सुनकर बैठा बैठा
मै थोड़ा भयभीत हुआ
फिर भी अपने सजल नेत्रों का
सहजता मैंने से इस्तेमाल किया
और दूर तलक जब मैंने देखा
तो एक बृद व्यक्ति को मैंने देखा
जो दर्द से था शायद कराह रहा
और ठण्ड से था शायद ठिठुर रहा
मैंने देखा एक चादर पतला
जिसमे चाहता था वो स्वयं को ढकना
इतना सबकुछ देख के मेरा
ह्रदय तुरंत द्रवित हो बैठा
और कम्बल अपने तन का
मै उसको तुरंत ओढा बैठा
फिर की मैंने भगवान से प्रार्थना
की ना दे कभी किसी को
ऐसी निर्धनता
३. तुम कब आओगे – Hindi Poems
गुम सुम गुम सुम बैठी थी वो
आशा और निराशाओ के बीच
इन्तेजार था उसे किसी का
जो था उसके बड़े करीब
उर में उसके हलचल सी मची थी
एक झलक उसकी पाने को
उसके नयन अश्रु से भरे थे
सागर जैसे छलक रहे थे
धीरे धीरे वो सिसक रही थी
तुम कब आओगे
पुछ रही थी
__O__