As you know, people have new thoughts and we will be in our old thoughts. So we often do mistake by simply turning down their thoughts as trash. What I mean to say is the point that nothing is trash, only expression may be weak. So we have to welcome all the new thoughts from the people. As it is said in sanskrit… “AANO BHADRAHA KRATAVOYANTU VISWATAHA” (Let allthe noble thoughts come from any corner of the world)
स्वागत का स्वागत करो
हमेशा होता है विचार नया नया
नया का हम क्यों न करें स्वागत ?
हमेशा होता है विचरना धूप में
या हो ठंडी – ठंडी पगडंडियों में…
जैसे हम ने कभी न देखा गरमी को
ये कैसे होता है जीवन में किसी को ?
हमेशा होता है विचार नया नया
नया का हम क्यों न करें स्वागत ?
होता है बदलना इन विचारों में
या हमारे सोच के अनेक प्रकारों में…
जैसे हम ने कभी न देखा नयेपन को
ये कैसे होता है जीवन में किसी को ?
हमेशा होता है विचार नया नया
नया का हम क्यों न करें स्वागत ?
कल के जैसे न होता है आज या कल
या किसी भी दिन चाहे हो कभी…
कल का अनुभव नहीं करो हमेशा
सोचो जैसे हर पल नया नया…
हमेशा होता है विचार नया नया
नया का हम क्यों न करें स्वागत ?
दुनिया का नाम है हर कदम नया
जीने का नाम है हर पल नया नया…
नया हो कहीं भी करो न स्वागत
नया विचार आये कहीं से है अच्छा…
हमेशा होता है विचार नया नया
नया का हम क्यों न करें स्वागत ?
आनो भद्रा: क्रतवोयंतु विश्वत:
अच्छे विचार आने दो हर कोने से।
छोटा हो या बडा विचार होता अपना
जिसे न सोचो अच्छा या बुरा।
हमेशा होता है विचार नया नया
नया का हम क्यों न करें स्वागत ?
मैं कहूँ या आप विचार है स्वच्छ तो
कीजिये ना उसका स्वागत हमेशा।
विचार है मन में बसी वाणी की बोल
जिसे समझ न सको तो होगा भूल।
– बीआर राकसन
24-9-2014
मिले हमें प्यार ही प्यार
प्यार है एक चीज ऐसी
जिसका न होता है आरपार।
प्यार है एक चीज ऐसी
जिसका न होता है व्यापार।
प्यार है एक चीज ऐसी
जिससे होता है कोई शंका दूर।
प्यार है एक चीज ऐसी
जिससे होता है चाहत अमर।
प्यार है एक चीज ऐसी
जिससे बनता है मन सुंदर।
प्यार है एक चीज ऐसी
जिससे बनता है सब साकार।
प्यार है एक चीज ऐसी
जो बनाए हमें बस अंगार।
प्यार है एक चीज ऐसी
जो बनाए मन को सागर।
प्यार है एक चीज ऐसी
जो दिखाए हमें सही डगर।
प्यार है एक चीज ऐसी
जो दिखाए हमें सपने जरूर।
मैं देखता हूँ हर जगह प्यार
जैसे हर दिल में प्यार अपार।
मेरे लिए है प्यार ही प्यार
हर जगह देखू उनके अंदर।
बीआर राकसन
23-9-2014
मैं हूँ एक नादान
मैं हूँ एक अनाडी पंछी नादान
न जानूं समझूं दुनिया क्या है।
हवा की आवाज से मैं अकिंचन
सोचती हूँ वह मुझे बुलाती है।
पेडों की नन्हीं टहनियों का गान
मुझे अपना संगीत सा लगता है।
मैं हूँ एक अनाडी पंछी नादान
न जानूं समझूं दुनिया क्या है।
झरनों की शायरी की वो शान
मेरे अंदर खुशियाँ क्यों भरती है?
लगता है पहाड मेरा घर समान
मगर न जानूं सुरक्षित क्या है।
मैं हूँ एक अनाडी पंछी नादान
न जानूं समझूं दुनिया क्या है।
लगता है नदी मेरी माँ समान
मगर पानी पीने का डर है।
पढाई में मिला पंडित सम्मान
लेकिन अपना कोई नहीं है।
मैं हूँ एक अनाडी पंछी नादान
न जानूं समझूं दुनिया क्या है।
लगता है दुनिया सारी मेरी
मगर विचार है, कुछ भी नहीं।
मैं हूँ एक नासमझ हर कहीं
कुछ नहीं जानता मैं अज्ञान।
– बीआर राकसन
3 सितंबर 2014
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